माम, शत-शतबार प्रणाम।
अमरों की जननी, राममो शत-शत बार प्रणाम।
मातृ-
भूत-शतबार प्रणाम।
तेरे उर में शावित गांधी, बदध और राम,
मान-शत-शत बार प्रणाम।
हरे-भरे खेत सुहाने,
फल-फूलों से युत बन-उपवन,
तेरे अंदर भरा हुआ है
खनिजों का कितना व्यापक धन ।
मुक्त-हस्त तू बांट रही है
सुख-संपत्ति, धन-धाम,
मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम ।
एक हाथ में न्याय-पताका,
ज्ञान-दीप दूसरे हाथ में,
जग का रूप बदल दे, हे माँ,
कोटि-कोटि हम आज साथ में।
गज उठे जय-हिंद नाद से
सकल नगर और ग्राम,
मान-म, शत-शत बार प्रणाम ।
***
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माम, शत-शतबार प्रणाम।
अमरों की जननी, राममो शत-शत बार प्रणाम।
मातृ-
भूत-शतबार प्रणाम।
तेरे उर में शावित गांधी, बदध और राम,
मान-शत-शत बार प्रणाम।
हरे-भरे खेत सुहाने,
फल-फूलों से युत बन-उपवन,
तेरे अंदर भरा हुआ है
खनिजों का कितना व्यापक धन ।
मुक्त-हस्त तू बांट रही है
सुख-संपत्ति, धन-धाम,
मातृ-भू, शत-शत बार प्रणाम ।
एक हाथ में न्याय-पताका,
ज्ञान-दीप दूसरे हाथ में,
जग का रूप बदल दे, हे माँ,
कोटि-कोटि हम आज साथ में।
गज उठे जय-हिंद नाद से
सकल नगर और ग्राम,
मान-म, शत-शत बार प्रणाम ।
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Bhut mst poem hai....... XD
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nice poem
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