Hindi, asked by nitinkhachisml7, 7 months ago

मान-1: गद्यांश को पढ़कर अंत में दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
(5)
हमारा मन भी गंगा के पानी की तरह ही होना चाहिए तभी वह निर्मल माना जाएगा। जिस प्रकार पानी
को सड़ने से रोकने के लिए उसमें उपयोगी बैक्टीरिया की उपस्थिति अनिवार्य है उसी प्रकार मन में विचारों
के प्रदूषण को रोकने के लिए सकारात्मक विचारों के निरंतर प्रवाह की भी आवश्यकता है। हम अपने मन
को सकारात्मक विचार रूपी बैक्टीरिया द्वारा आप्लावित करके ही गलत विचारों को प्रविष्ट होने से रोक
सकते ही जब भी कोई नकारात
(D) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक।​

Answers

Answered by anonomus
2

Answer:

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Explanation:

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Answered by HarsheetOjha
4

Answer:

man aur Ganga.

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