माँ ने ऐसा कहा ज़रूर लेकिन साथ ही साथ टोकरी से आम चुन-चुनकर अलग रखने लगीं।
बातों-बातों में पच्चीस पर सौदा पक्का हुआ। उसके बाद माँ एक अजीब-सी बात पूछ बैठी, “पाँच
किलो में कितने आम चढ़ेंगे?
इसका क्या मतलब? माँ क्या-क्या कहती हैं ? माँ क्या यह भी नहीं जानतीं? माँ को क्या यह
भी नहीं पता? कितनी शरम की बात है! आमवाला भला क्या सोचेगा?
लेकिन उसको और भी अचरज में डालते हुए आमवाले ने कहा, "वह मैं अलग से क्या बोलूँ,
वही 18-19 आम चढ़ेगा।"
माँ ने कहा, "19-20 क्या बोलते हो तुम भी? अभी उसी दिन तो पाँच किलो में 24-25 आम
लिए। नहीं 19-20 आम तो नहीं। 24-25 देते हो तो ठीक, नहीं तो, तुम अपनी टोकरी उठाओ।"
माँ उठने को हुईं। व्याकुल होकर आमवाले ने कहा, "उठती क्यों हैं? अच्छा ठीक है, 24 आम
दे देता हूँ। 25 आम के लिए अब और मत कहिएगा, माँ।"
माँ तब मानो घोर अनिच्छा के साथ राजी हो गईं। आम गिन के उठाने लगीं। नीलू ने उस दिन
जाना कि एक किलो की मात्रा को भी बढ़ाया घटाया जा सकता है।
लेकिन गणित की कॉपी में नीलू अगर एक किलो की जगह सवा किलो लिखेगा तो क्या मास्टर
साहब नंबर देंगे?
-बांग्ला से अनुबाद
संजय भारती
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Explanation:
I DONT WANT LIKES PLEASE I NEED ONLY 1 BRAINLIST PLEASE
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