मीनू भंडारी
को लेखकीय उपलब्धि का जिक्र करने में संकोच क्यों होता था
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- अचेतन मन के किसी परत के नीचे दबी इस हीन-भावना के कारण ही वह अपनी किसी भी उपलब्धि पर भरोसा नहीं कर पाती थी। इसका एक कारण यह भी है कि उसकी लेखकीय उपलब्धियों का जिक्र आने पर वह संकोच अनुभव करने लगती है। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उनकी खर्चीली आदतें उनके अंदर विवशता की भावना भरने लगीं।♡~
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