Hindi, asked by aditya733728, 1 year ago

मैने छुटपन मे छिपकर पैसे बोये थे 
सोचा था पैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे , 
रुपयों की कलदार मधुर फसलें खनकेंगी , 
और, फूल फलकर मै मोटा सेठ बनूगा ! 
पर बन्जर धरती में एक न अंकुर फूटा , 
बन्ध्या मिट्टी ने एक भी पैसा उगला । 
सपने जाने कहां मिटे , कब धूल हो गये । इस कविता का उचित शीर्षक लिखिए​

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Answered by sanjanapatel545454
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Explanation:

kavyansh ka bhavarth bataiye

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