मेन्डल के नियाम वन्शागत नियाम बताऐ
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इस नियम के अनुसार ''किसी द्विसंकर संकरण में एक लक्षण की वंशागति दूसरे लक्षण की वंशागति से पूर्णतः स्वतंत्र होती है। अर्थात् एक लक्षण के युग्मविकल्पी दूसरे लक्षण के युग्मविकल्पी से युग्मक निर्माण के समय स्वतंत्र रूप से पृथक व पुनव्र्यवस्थित होते हैं।'' इसमें लक्षण प्ररूप अनुपात 9 : 3 : 3 : 1 होता है।
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इस नियम के अनुसार ''किसी द्विसंकर संकरण में एक लक्षण की वंशागति दूसरे लक्षण की वंशागति से पूर्णतः स्वतंत्र होती है। अर्थात् एक लक्षण के युग्मविकल्पी दूसरे लक्षण के युग्मविकल्पी से युग्मक निर्माण के समय स्वतंत्र रूप से पृथक व पुनव्र्यवस्थित होते हैं।'' इसमें लक्षण प्ररूप अनुपात 9 : 3 : 3 : 1 होता है।
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