मैनें एक सपना देखा निंबध
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पिछली रात उषाकाल के पूर्व मैंने एक बड़ा सुन्दर सपना देखा । मैंने अपने आपको फूलो के देश में पाया । यह देश बड़ा सुन्दर था और चारों ओर मनोहरी प्राकृतिक दृश्य थे । थोड़ी ही दूर पर दूध जैसे जल की एक नदी बह रही थी । वहा तरह-तरह के हजारों वृक्ष बड़ी तरतीब से लगे थे । वृक्ष इतने घने थे कि वह जगल-सा लग रहा था । हल्का प्रकाश छाया हुआ था । मैं वृक्षों के बीच उस जगल में आगे बढ़ने लगा ।
कुछ दूर जाकर मुझे संगीत की मधुर ध्वनि सुनाई दी । ऐसा लग रहा था कि कई वाद्य वृन्द एक साथ बज रहे हों । मुझे वह ध्वनि दैवीय लगी । मैं मंत्र मुगध हो उस संगीत का स्वर-वादन करने लगा । इतने में ही फूलों की मादक गध का एक झोंका आया ।
मैं इस अनुपम दृश्य को देख खुशी से नाच उठा । मैं हिम्मत करके जंगल मे आगे बढ़ा । मैं संगीत के स्रोत तक पहुच कर देखना चाहता था कि इतना मधुर संगीत कौन बजा रहा है तथा वे कौन-से वाद्यंत्र है । ज्यों-ज्यों मैं आगे बढ़ता जाता ।
मुझे महसूस हो रहा था कि संगीत की ध्वनि भी उतनी ही पीछे चली चली जाती थी, मैंने एक घंटे से अधिक समय तक उसका पीछा किया, लेकिन मैं संगीतज्ञों से उतना ही दूर बना रहा जितना कि पहले था । मधुर संगीत की छानि अभी तक मेरे कानों में आ रही थी । अब तक मैं थक गया था अत. मैं खडा होकर संगीत का आनन्द लेने लगा ।
इतनी देर मैं मुझे घोडों के टापो की आवाज सुनाई दी । थोड़ी देर में पाँच घुडसवार अपने-अपने सफेद घोडों पर बैठे मेरे सामने आकर राक गए । वे रेशमी कपड़े पहने हुए थे व प्रत्येक के गले में ताजे फूलो की मालायें पड़ी हुई थीं । वे मुझे देखकर बडे प्रसन्न हुए ।
कुछ दूर जाकर मुझे संगीत की मधुर ध्वनि सुनाई दी । ऐसा लग रहा था कि कई वाद्य वृन्द एक साथ बज रहे हों । मुझे वह ध्वनि दैवीय लगी । मैं मंत्र मुगध हो उस संगीत का स्वर-वादन करने लगा । इतने में ही फूलों की मादक गध का एक झोंका आया ।
मैं इस अनुपम दृश्य को देख खुशी से नाच उठा । मैं हिम्मत करके जंगल मे आगे बढ़ा । मैं संगीत के स्रोत तक पहुच कर देखना चाहता था कि इतना मधुर संगीत कौन बजा रहा है तथा वे कौन-से वाद्यंत्र है । ज्यों-ज्यों मैं आगे बढ़ता जाता ।
मुझे महसूस हो रहा था कि संगीत की ध्वनि भी उतनी ही पीछे चली चली जाती थी, मैंने एक घंटे से अधिक समय तक उसका पीछा किया, लेकिन मैं संगीतज्ञों से उतना ही दूर बना रहा जितना कि पहले था । मधुर संगीत की छानि अभी तक मेरे कानों में आ रही थी । अब तक मैं थक गया था अत. मैं खडा होकर संगीत का आनन्द लेने लगा ।
इतनी देर मैं मुझे घोडों के टापो की आवाज सुनाई दी । थोड़ी देर में पाँच घुडसवार अपने-अपने सफेद घोडों पर बैठे मेरे सामने आकर राक गए । वे रेशमी कपड़े पहने हुए थे व प्रत्येक के गले में ताजे फूलो की मालायें पड़ी हुई थीं । वे मुझे देखकर बडे प्रसन्न हुए ।
Vanishaaa:
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