मुनिहि हरियरे सूझ से क्या तात्पर्य है?
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विश्वामित्र ने हृदय में हँसकर कहा - मुनि को हरा-ही-हरा सूझ रहा है (अर्थात् सर्वत्र विजयी होने के कारण ये राम-लक्ष्मण को भी साधारण क्षत्रिय ही समझ रहे हैं), किंतु यह लौहमयी (केवल फौलाद की बनी हुई) खाँड़ (खाँड़ा - खड्ग) है, ऊख की (रस की) खाँड़ नहीं है (जो मुँह में लेते ही गल जाए। खेद है,) मुनि अब भी बेसमझ बने हुए हैं; इनके प्रभाव को नहीं समझ रहे हैं॥
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Explanation:
वास्तविकता से अनजान होना
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