मैंने हँसना सीखा है
(Have Learnt to Smile)
किसी को प्रदिप कथिनी श्रीमती सुषमा कुमारी चौहान ने इस सुपर आशावादी कविता की रचना की है। इस
कषिता के प्रत्येक सम से उल्लास, उमंग और आशा के मधुर भाव स्पक रहे हैं। यह कविता हमें हंसकर जीने
मैंने हसना सीखा है,
मैं नहीं जानती रोना,
बरसा करता हर पल है,
मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जान न पाई
कैसी होती है पीड़ा,
हँस-हंस जीवन में कैसे.
करती है चिता क्रीड़ा।
जग है असार सुनती हूँ,
मुझको सुख-सार दिखाता,
मेरी आँखों के आगे,
सुख का सागर लहराता।
उत्साह, उमंग निरतर,
रहते मेरे जीवन में.
उल्लास विजय का हँसता,
मेरे मतवाले मन में।
आशा आलोकित करती.
मेरे जीवन के प्रतिक्षण,
हैं स्वर्ण-सूत्र से वलचित,
मेरी असफलता के घन।
सुख भरे सुनहले बादल.
रहते हैं मुझको घेरे,
विश्वास, प्रेम,
जीवन के साथी मेरे।
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Answer:Pradeep Kathini, someone Sushma Kumari Chauhan has composed this super optimistic poem. this
Kushita's sweet expressions of gaiety, exuberance and hope are spilling from each end. This poem makes us laugh and live
I have learned to laugh,
I don't know cry,
It rains every moment,
Sleep in my life
I still did not know
What is the pain,
How to laugh and laugh in life.
She does a funeral pyre.
I listen to the world,
Show me happiness,
Before my eyes
The ocean of happiness was swaying.
Enthusiasm, relentlessness,
Lived in my life
Glee laughs at Vijay,
In my heart.
Hope illuminates
Waiting for my life,
Are known from the golden sutra,
Cube of my failure.
A pleasant golden cloud.
Live surrounds me,
Faith, love,
My life partner.
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