Hindi, asked by hansithavanjarapu, 8 months ago

मैं ने हँसना सीखा है, मैं नहीं जानती रोना।
बरसा करता पल पल पर, मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जान न पाई कैसी होती है पीड़ा।
हँस हँस जीवन में कैसे करती हैं चिंता क्रीड़ा।
जग है असार सुनती हूँ मुझको सुख-सार दिखाता।
मेरी आँखों के आगे सुख का सागर लहराता।
उत्साह उमंग निरंतर रहते मेरे जीवन में।
उल्लास विजय का हँसता मेरे मतवाले मन से।
आशा आलोकित करती मेरे जीवन को प्रतिक्षण।
है स्वर्णसूत्र से वलयित मेरी असफलता के धन।
सुख भरे सुनहरे बादल रहते हैं मुझको घेरे।
विश्वास, प्रेम, साहस जीवन के साथी मेरे।
कवयित्री : सुभद्रा कुमारी चौहान
जीवनकाल 1904-1948
उनता मकन, विधारा

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Answers

Answered by sonam5762
4

Explanation:

सुभद्रा कुमारी चौहान कविता के द्वारा मानव को जीवन में उत्साह और निरंतर हंसते रहने का

संदेश दे रही है

वह अपने द्वारा दूसरों को जीवन में हमेशा हर मुश्किल का सामना करने का संदेश दे रही है वह उन्हें असफलता से लड़ने के लिए प्रेरित कर रही है

Answered by franktheruler
0

दी गई कविता का सारांश निम्न प्रकार से लिखा गया है

  • दी गई पंक्तियां सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता " मेरा जीवन " से ली गई है।
  • इस कविता के माध्यम से कवियित्री कहना चाहती है कि सभी को एक खुशहाल जीवन जीना चाहिए। वे एक सुखी जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित कर रही है।
  • कवियित्री कहती है कि उन्होंने जीवन के पथ पर रोना नहीं सीखा है, हर वक़्त हंसना सीखा है। कवियित्री कहती है कि पीड़ा क्या होती है ? यह उन्हें नहीं पता। लोग कहते है कि जग असार है परन्तु मुझे यह जग सुख सागर दिखता है। कवियत्री का मन सदा हर्ष व उल्लास से भरा रहता है। उनके जीवन को आशा की ज्योति सतत प्रज्वलित करती रहती है।
  • आगे कवियित्री कहती है कि उनके प्रेम, साहस तथा विश्वास उनके जीवन के साथी है।

#SPJ3

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