मान लीजिए चींटी और हाथी बहुत अच्छे दोस्त हैं, लेकिन वे एक-दूसरे से बहुत दिन
बाद मिले हैं, तो क्या बात करेंगे? संवाद लिखिए-
हाथी - अरे! चींटी रानी, तुम बहुत दिनों से दिखाई नहीं दीं?
चींटी - क्या करू दोस्त! मुझे दाना भी तो इकट्ठा करना पड़ता है।
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चींटी -
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चीटी -
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मान लीजिए चींटी और हाथी बहुत अच्छे दोस्त हैं, लेकिन वे एक-दूसरे से बहुत दिन बाद मिले हैं, तो क्या बात करेंगे? संवाद लिखिए-
हाथी - अरे! चींटी रानी, तुम बहुत दिनों से दिखाई नहीं दीं?
चींटी - क्या करू दोस्त! मुझे दाना भी तो इकट्ठा करना पड़ता है।
हाथी – अच्छा ! तभी मैं बोलूँ कि मेरी सबसे अच्छी दोस्त कहाँ चली गयी।
चींटी – क्या बात ! इसका मतलब तुम मुझे इतना याद कर रहे थे।
हाथी – हाँ और क्यूँ नहीं, मेरा तुम्हारे सिवा है कौन ?
चीटी – क्या बात दोस्त आज इतना मक्खन क्यों लगा रहे हो?
हाथी – नहीं –नहीं मैं सच बोल रहा हूँ, मेरा यकीन करो।
चीटी – नहीं पर मुझे कुछ दाल में काला नज़र आ रहा है।
हाथी – असल में बात यह है कि मैं तुम्हारी सहेली से दोस्ती करना चाहता हूँ ।
चींटी –देखा, मैं कह रही थी न कि कुछ तो गड़बड़ है, कौन सी सहेली?
हाथी – जो पिछले महीने तुम्हारे साथ दना चुगने आई थी।
चीटी – अच्छा अरे वो, वो तो अब यहाँ नहीं रहती, वो अपने मामा के पास चली गयी है ।
हाथी – दुखी होकर, अच्छा वो चली गयी तो फिर मैं भी यहाँ क्या करूंगा, मैं भी जंगल छोड़ कर चला जाऊंगा।
चीटी – नहीं मेरे दोस्त, इतना दुख मत मनाओ, मैं तुम्हें छोड़ कर कभी नहीं जाऊँगी।
हाथी –धन्यवाद दोस्त, आखिर यह सच है कि बचपन के दोस्त सदा साथ देते हैं।