मान लिया जाता है।
निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
5.
भी गया हूँ, धोखा भी खाया है, परंतु बहुत कम स्थलों पर विश्वासघात नाम की चीज मिलती है। केवल उन्हीं बातों का
ठगा
कैसे कहूँ कि मनुष्यता एकदम समाप्त हो गई! कैसे कहूँ कि लोगों में दया रह ही नहीं गई! जीवन में जाने कितनी ऐसी घटनाएँ हुई
हिसाब रखो, जिनमें धोखा खाया है, तो जीवन कष्टकर हो जाएगा। ऐसी घटनाएँ भी बहुत कम नहीं हैं, जब लोगों ने अकारण
सहायता की है, निराश मन को ढाढ़स दिया है और हिम्मत बँधाई है। कविवर रबींद्रनाथ टैगोर ने अपने प्रार्थना गीत में भगवान से
प्रार्थना की थी कि संसार में केवल नुकसान हो उठाना पड़े, धोखा ही खाना पड़े, तो ऐसे अवसरों पर भी, हे प्रभो! मुझे ऐसी शक्ति
हैं, जिन्हें मैं भूल नहीं सकता।
दो कि मैं तुम्हारे ऊपर संदेह न करूँ।
'कैसे कहूँ कि मनुष्यता एकदम समाप्त हो गई!'- इस कथन से लेखक क्या कहना चाहते हैं?
(ख) जीवन कब कष्टदायक हो जाता है?
(ग) लेखक ने किन बातों का हिसाब रखने की सलाह दी है?
(घ)
किन घटनाओं के कारण लेखक की आस्था जीवित है?
(ङ) कविवर रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने प्रार्थना गीत में ईश्वर से क्या प्रार्थना की?
(क)
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ठगा भी गया हूँ, धोखा भी खाया है, परंतु बहुत कम स्थलों पर विश्वासघात नाम की चीज़ मिलती है। केवल उन्हीं बातों का हिसाब रखो, जिनमें धोखा खाया है तो जीवन कष्टकर हो जाएगा, परंतु ऐसी घटनाएँ भी बहुत कम नहीं हैं जब लोगों ने अकारण सहायता की है, निराश मन को ढांढ़स दिया है और हिम्मत बँधाई है। लेखक के निराश न होने का क्या कारण था
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