Hindi, asked by simranleitao, 3 months ago

म.६.निम्नलिखित किसी एक विषय पर दिए गए संकेत विदुओं के आधारपर १००-१२० शब्दों का
निबंध लिखिए
। प्रस्तावना ---- समय का महत्व समझने से लाभ
समय का महत्व न समझने से
हानि----समय नष्ट करना भारी भूल
समय का सदपयोग कैसे करें---- उपसंहार ।​

Answers

Answered by jayatiyadav37
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काल करै सो आज कर, आज करै सो अब।

पल में परलै होय गी, बहुरी करेगा कब ।।

उपर्युक्त पंक्तियां समय की महत्ता को बताती हैं । समय ही सफलता की कुंजी है। समय का चक्र अपनी गति से चल रहा है या यूं कहें कि भाग रहा है। अक्सर इधर-उधर कहीं न कहीं, किसी न किसी से ये सुनने को मिलता है कि क्या करें समय ही नही मिलता। वास्तव में हम निरंतर गतिमान समय के साथ कदम से कदम मिला कर चल ही नही पाते और पिछङ जाते हैं। समय जैसी मूल्यवान संपदा का भंडार होते हुए भी हम हमेशा उसकी कमी का रोना रोते रहते हैं ।

विकास की राह में समय की बरबादी ही सबसे बङा शत्रु है। एक बार हाथ से निकला हुआ समय कभी वापस नही आता है। हमारा बहुमूल्य वर्तमान क्रमशः भूत बन जाता है जो कभी वापस नही आता। सत्य कहावत है कि बीता हुआ समय और बोले हुए शब्द कभी वापस नही आ सकते। हमें किसी भी काम को कल पर नही टालना चाहिए क्योंकि आज का कल पर और कल का काम परसों पर टालने से काम अधिक हो जायेगा। बासी काम, बासी भोजन की तरह अरुचीकर हो जायेगा। समय जैसे बहुमूल्य धन को सोने-चाँदी की तरह रखा नही जा सकता क्योंकि समय तो गतिमान है। इस पर हमारा अधिकार तभी तक है जब हम इसका सदुपयोग करें अन्यथा ये नष्ट हो जाता है। समय का उपयोग धन के उपयोग से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हम सभी की सुख-सुविधा इसी पर निर्भर है।

समय का प्रबंधन प्रकृति से स्पष्ट समझा जा सकता है। समय का कालचक्र प्रकृति में नियमित है। दिन-रात, ऋतुओं का समय पर आना-जाना है । यदि कहीं भी अनियमितता होती है तो विनाष की लीला भी प्रकृति सीखा देती है। समय की उपेक्षा करने पर कई बार विजय का पासा पराजय में पलट जाता है। नेपोलियन ने आस्ट्रिया को इसलिए हरा दिया कि वहाँ के सैनिकों ने पाँच मिनट का विलंब कर दिया था, लेकिन वहीं कुछ ही मिनटो में नेपोलियन बंदी बना लिया गया क्योंकि उसका एक सेनापति कुछ विलंब से आया। वाटरलू के युद्ध में नेपोलियन की पराजय का सबसे बङा कारण समय की अवहेलना ही थी। कहते हैं खोई दौलत फिर भी कमाई जा सकती है। भूली विद्या पुनः पाई जा सकती है किन्तु खोया हुआ समय पुनः वापस नही लाया जा सकता सिर्फ पश्चाताप ही शेष रह जाता है।

समय के गर्भ में लक्ष्मी का अक्षय भंडार भरा हुआ है, किन्तु इसे वही पाते हैं जो इसका सही उपयोग करते हैं। जापान के नागरिक ऐसा ही करते हैं, वे छोटी मशीनों या खिलौनों के पुर्जों से अपने व्यावसायिक कार्य से फुरसत मिलने पर नियमित रूप से एक नया खिलौना या मशीनें बनाते हैं। इस कार्य से उन्हे अतिरिक्त धन की प्राप्ति होती है। उनकी खुशहाली का सबसे बङा कारण समय का सदुपयोग ही है।

समय तो उच्चतम शिखर पर पहुँचने की सीढी है। जीवन का महल समय की, घंटे-मिनटों की ईंट से बनता है। प्रकृति ने किसी को भी अमीर गरीब नही बनाया उसने अपनी बहुमुल्य संपदा यानि की चौबीस घंटे सभी को बराबर बांटे हैं। मनुष्य कितना ही परिश्रमी क्यों न हो परन्तु समय पर कार्य न करने से उसका श्रम व्यर्थ चला जाता है। वक्त पर न काटी गई फसल नष्ट हो जाती है। असमय बोया बीज बेकार चला जाता है। जीवन का प्रत्येक क्षण एक उज्जवल भविष्य की संभावना लेकर आता है। क्या पता जिस क्षण को हम व्यर्थ समझ कर बरबाद कर रहे हैं वही पल हमारे लिए सौभाग्य की सफलता का क्षण हो। आने वाला पल तो आकाश कुसुम की तरह है इसकी खुशबु से स्वयं को सराबोर कर लेना चाहिए। ये कहना अतिशयोक्ति न होगी कि, वक्त और सागर की लहरें किसी की प्रतिक्षा नही करतीं। हमारा कर्तव्य है कि हम समय का पूरा-पूरा उपयोग करें।

अब हम समय के नियोजन के बारे मे विचार करते हैं । मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया के अनुसार

“ किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आवश्यक क्रियाकलापों के बारे में चिन्तन करना नियोजन कहलाता है।“

हम अपने समय के सदुपयोग के बारेमे किस तरह से सोचें। यही समय का नियोजनहै । भगवान महावीर ने समय के नियोजन के बारे मे वर्षों पहिले कहा था -

-' काले कालं समायरे '

अर्थात् जिस समय जो काम उचित हो , उस समय वही काम करना चाहिए। निर्धारित समय पर निर्धारित काम करने वाला व्यक्ति ही जीवन में सफलता को प्राप्त कर सकता है। अपेक्षा है , व्यक्ति समय के मूल्य को पहचाने। संसार में एक कीमती तत्व है ' समय ' । दूसरी कीमती चीजें यदि खो जाएं तो उन्हें दुबारा प्राप्त किया जा सकता है किन्तु समय एक ऐसी चीज है , जिसे खोने के बाद दुबारा कभी नहीं पाया जा सकता। जागरूकता के साथ समय का नियोजन करने वाला व्यक्ति सौभाग्यशाली होता है और वह सफलता के उत्तुंग शिखर तक भी पहुंच सकता है।

हमारे बहुत से देवी-देवताओं की भुजाएँ दो से अधिक होती हैं — चार, आठ, सौलह या सैंकड़ों। कई बार हज़ार भुजाओं का भी जिक्र आता है। इतनी भुजाओं का क्या अर्थ है? भुजाओं की अधिकता देवी-देवताओं की कार्य-क्षमता का प्रतीक है। इतनी सारी भुजाओं का अर्थ है कि देवतागण हमसे कई गुनी अधिक कार्य-क्षमता रखते हैं। समय तो सबके पास बराबर होता है, फिर भी एक व्यक्ति की उत्पादन शीलता दूसरे से कई गुनी अधिक हो सकती है। यह समय के नियोजन से ही सम्भव है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन हैं — आप डाक्टर हो सकते हैं, वकील हो सकते हैं, बड़े सेठ हो सकते हैं, प्रोफेसर हो सकते हैं, विद्यार्थी हो सकते हैं। यदि आप समय का उपयोग योजनाबद्ध तरीके से नहीं करते तो आप जीवन जी नहीं रहे हैं बल्कि दिन काट रहे हैं। आफ जीवन का लक्ष्य दिन काटना नहीं है। मात्र दिन काटने से आप के लक्ष्य की पूर्त्ति नहीं होती। आपके लक्ष्य की पूर्त्ति तो सुख से भरपूर जीवन जीने में होती है।

हमारे ऋषी मुनियों ने समय के सदुपयोग की शिक्षा दी है । एक बार एक श्रद्धालु धनिक ने ऋषी से कहा— “प्रभु! श्रेष्ठ कार्यों में समय लगाना तो आवश्यक है, यह मैं मानता हूँ। लेकिन यदि कोई समयाभाव के कारण वैसा नहीं कर सके तो फिर क्या करे?”

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