Hindi, asked by himanshihimmu1912, 11 months ago

मुन्नी की नजर में खेती और मजदूरी में क्या अंतर है वह हल्कू से खेती छोड़ देने के लिए क्यों कहते हैं

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Answered by shishir303
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                                 पूस की रात

ये प्रश्न ‘मुंशी प्रेमचंद’ द्वारा लिखित “पूस की रात” कहानी से लिया गया है।

जब ‘हल्कू’ ‘मुन्नी’ से आकर कहता है कि वह उन तीन रुपयों को उसे दे दे जो उसने कंबल खरीदने के लिये रखे थे, ताकि वो उन पैसों को ‘सहना’ को देकर उसका कर्जा चुका दे नही तो ‘सहना’ गाली गलौज करेगा। ये सुनकर ‘मुन्नी’ भड़क जाती है और काफी ना-नुकर करने के बाद तीन रुपये तो लाकर ‘हल्कू’ दे देती है पर उस पर नाराज भी होती है।

‘मुन्नी’ की नजर में ‘हल्कू’ खेती की जगह मजदूरी करेगा तो ज्यादा बेहतर रहेगा। उसके कहे अनुसार ‘हल्कू’ दिन-रात खेती में कड़ी मेहनत करता है पर जब फसल होती है तो वह कर्जा चुकाने में चली जाती है। दो वक्त की रोटी भी पेट भर नहीं मिल पाती। ऐसी खेती से क्या फायदा। इसलिए ‘हल्कू’ अगर खेती की जगह मजदूरी करेगा तो चंद पैसे भी आयेंगे। कर्जा भी नहीं होगा और ना ही किसी की धौंस सहनी पड़ेगी।

Answered by devathakur73
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Answer:

मुन्नी की नजर में खेती और मजदूरी में क्या अंतर है वह हल्कू से खेती छोड़ देने के लिए क्यों कहते हैं

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