मौन निमंत्रण काव्य का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए
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Explanation:
मौन निमंत्रण' कविता के द्वारा पंत जी कह रहे हैं कि प्रकृति के संकेतों से यह लगता है कि कोई निमंत्रण दे रहा है, लेकिन मौन होकर । प्रकृति के आलम्बो के माध्यम से 'मौन निमंत्रण' कविता को बहुत ही अच्छे तरीके से पंत जी विचारों को व्यक्त कर रहे हैं
मौन निमंत्रण काव्य का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए :
'मौन निमंत्रण' कविता सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखी गई कविता है।
व्याख्या :
सुमित्रानंदन पंत को प्रकृति का सुकुमार कवि कहा जाता है। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से प्रकृति के विभिन्न उपादानों का बड़ी सुंदरता से वर्णन किया है। 'मौन निमंत्रण' कविता की शुरुआत भी रात की प्रकृति से हुई है। कविता आरंभ में वे लिखते हैं कि रात में चांदनी फैली हुई थी। चांदनी में किसी की तरह चंचलता नहीं थी। वह स्थिर थीष इस कविता के माध्यम से कवि ने रात के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया है तो वही प्रकृति के कई दृश्यों को रखते हुए मौन निमंत्रण के भाव को भी अभिव्यक्त किया है। उन्होंने वसंत ऋतु, विशाल आकाश और समुद्र के दृश्यों के माध्यम से प्रकृति के विभिन्न उपादान ओं का वर्णन किया है। इस कविता के माध्यम से उन्होंने अपनी चिर परिचित अंदाज में प्रकृति का सुंदर वर्णन किया है।