Hindi, asked by sarthakcocth2053, 1 month ago

मैं नीर भरी दुख की बदली कविता का मूल भाव क्या है​

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Answered by mi04swechha
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Answer:

यह कविता महादेवी वर्मा की कविता हैं जिसका अर्थ यह है कि एक लड़की माटी की गुड़िया के समान है जिसे अपनी जिंदगी के हर मोड़ पर टूटने और बिखरने का डर है. उसकी जिंदगी में परेशानियों का सफर हमेशा चलता रहता है.

Answered by vikasbarman272
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"मैं नीर भरी .. .." इस कविता को महादेवी वर्मा जी ने लिखी है l

  • इस कविता में महादेवी वर्मा ने बताया है कि एक लड़की और एक महिला हमेशा एक माटी की गुड़िया के समान ठीक होती है l माटी की इस गुड़िया को अपनी जिंदगी के हर पड़ाव पर दुख पूर्वक टूटने और बिखरने का डर बना रहता है l
  • उसकी इस जिंदगी में परेशानियों का सफर हमेशा चलता ही रहता है l
  • वह चाहती है कि वह जिस पथ पर चल रही है वह स्वच्छ और सुंदर होना चाहिए l पथ किसी भी गंदगी से युक्त नहीं होना चाहिए l
  • यह कविता रहस्यवादी भावनाओं से ओतप्रोत है l इस कविता में महादेवी वर्मा की व्यक्तिगत वेदना और पीड़ा का चित्रण किया गया है l
  • इसी के साथ उन्होंने विश्व की विराट स्वरूप की नश्वरता की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया है I

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