Hindi, asked by shaquilleoatmeal61, 3 months ago

'मान रहित 'से कवि का क्या तात्पर्य है ? from ''hum deevano ki kya hasti'' by bhagvaticharan verma​

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Answered by jenifer12328
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Explanation:

हम दीवानों की क्या हस्ती -भगवतीचरण वर्मा

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हम दीवानों की क्या हस्ती -भगवतीचरण वर्मा

भगवतीचरण वर्मा

कवि भगवतीचरण वर्मा

जन्म 30 अगस्त, 1903

जन्म स्थान उन्नाव ज़िला, उत्तर प्रदेश

मृत्यु 5 अक्टूबर, 1981

मुख्य रचनाएँ चित्रलेखा, भूले बिसरे चित्र, सीधे सच्ची बातें, सबहि नचावत राम गुसाई, अज्ञात देश से आना, आज मानव का सुनहला प्रात है, मेरी कविताएँ, मेरी कहानियाँ आदि

इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

भगवतीचरण वर्मा की रचनाएँ

कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें -भगवतीचरण वर्मा

तुम सुधि बन-बनकर बार-बार -भगवतीचरण वर्मा

अज्ञात देश से आना -भगवतीचरण वर्मा

बसन्तोत्सव -भगवतीचरण वर्मा

तुम अपनी हो, जग अपना है -भगवतीचरण वर्मा

मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम -भगवतीचरण वर्मा

आज मानव का -भगवतीचरण वर्मा

देखो-सोचो-समझो -भगवतीचरण वर्मा

बस इतना--अब चलना होगा -भगवतीचरण वर्मा

आज मानव का सुनहला प्रात है -भगवतीचरण वर्मा

मैं कब से ढूँढ़ रहा हूँ -भगवतीचरण वर्मा

आज शाम है बहुत उदास -भगवतीचरण वर्मा

स्मृतिकण -भगवतीचरण वर्मा

मानव -भगवतीचरण वर्मा

संकोच-भार को सह न सका -भगवतीचरण वर्मा

हम दीवानों की क्या हस्ती -भगवतीचरण वर्मा

कल सहसा यह सन्देश मिला -भगवतीचरण वर्मा

तुम मृगनयनी -भगवतीचरण वर्मा

पतझड़ के पीले पत्तों ने -भगवतीचरण वर्मा

हम दीवानों की क्या हस्ती, आज यहाँ कल वहाँ चले

मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले

आए बनकर उल्लास कभी, आँसू बनकर बह चले अभी

सब कहते ही रह गए, अरे तुम कैसे आए, कहाँ चले

किस ओर चले? मत ये पूछो, बस चलना है इसलिए चले

जग से उसका कुछ लिए चले, जग को अपना कुछ दिए चले

दो बात कहीं, दो बात सुनी, कुछ हँसे और फिर कुछ रोए

छक कर सुख दुःख के घूँटों को, हम एक भाव से पिए चले

हम भिखमंगों की दुनिया में, स्वछन्द लुटाकर प्यार चले

हम एक निशानी उर पर, ले असफलता का भार चले

हम मान रहित, अपमान रहित, जी भर कर खुलकर खेल चुके

हम हँसते हँसते आज यहाँ, प्राणों की बाज़ी हार चले

अब अपना और पराया क्या, आबाद रहें रुकने वाले

हम स्वयं बंधे थे, और स्वयं, हम अपने बन्धन तोड़ चले

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