Hindi, asked by dinocharge, 11 months ago

मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन। जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥ पाहन हौं तो वही गिरि को, जो धर्यो कर छत्र पुरंदर धारन। जो खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदीकूल कदम्ब की डारन॥ this is the first stanza of raskan ke savey on the basus of this stanza tell
कवी मनुष्य पशु पक्षी और पत्थर भी ब्रज में बनना चाहते हैं I इससे उसकी किस भाव की पुष्टि होती हैं ?
spams and irrelevant answers will be reported

Answers

Answered by jayathakur3939
68

रसखान कवी का अपने प्रभु श्री कृष्ण की ओर इतना लगाव है कि वह हर

स्थिति में उनके साथ ही  रहना चाहते हैं | इसलिए वह कहते हैं की अगले

जन्मों में मुझे अगर मनुष्य योनि मिले तो मैं गोकुल गावं के गवालों के

बीच रहने का मौका मिले | अगर पशु योनि मिले तो मुझे ब्रज में ही रखना

प्रभु ताकि मैं नन्द जी गायों के साथ विचरण  कर सकूँ |  अगर पत्थर भी

बनूँ तो उस पर्वत का बनूँ जिसे प्रभु ने अपनी ऊँगली पर उठा कर ब्रज को इंद्र

के प्रकोप से बचाया था | पक्षी बना तो यमुना किनारे कदम्ब कि डालों से

अच्छी जगह तो हो ही नहीं सकती बसेरा  करने के लिए |

Answered by raginiravisharma
1

raskhan Kavi ka aapane per dusri Krishna ki aur itna lagavegi vah har

Similar questions