मानो सुखा वृक्ष बोल रहा है पर निबंध
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में एक पेड़ हु.में बहुत बड़ा पेड़ हूं आज मैं अपने जीवन में खुश हूं क्योंकि मैं लोगों को काफी लाभ पहुंचाता हूं मैं लोगों को ऑक्सीजन प्रदान करता हूं और खुद कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करता हूं फिर भी कभी कभी लोग मेरे साथ छेड़छाड़ करते हैं.मैं एक सड़क के किनारे पर रहता हूं लोग अक्सर मेरी छाये में लंबे समय तक बैठे रहते हैं,गर्मियों के दिनों में जब लोग पसीना-पसीना हो जाते हैं तो लोग मेरी छाये में मेरे नीचे बैठते हैं.लोगो को मेरे नीचे बैठकर सुकून मिलता है तो वो मेरा धन्यवाद भी करते हैं ऐसा सुनकर मैं बहुत ही खुश होता हूं लेकिन दूसरी और यही सोचता हूं कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बिना वजह मेरी ठहनियो और पत्तियों को तोड़ते रहते हैं.कुछ लोग अपने छोटे से लाभ के लिए मुझे नष्ट कर देते हैं.मैं आज बहुत बड़ा हो गया हूं इसलिए जानवर या कोई भी मनुष्य मुझे आसानी से हानि नहीं पहुंचा सकता.आज लोग मुझे रोड के किनारे देखकर मेरी तारीफ करते हैं.
आज से ५० साल पहले मेंने इस दुनिया में जन्म लिया.जब मैं बहुत छोटा था तो मुझे जानवर इधर उधर से परेशान किया करते थे बड़ी मुश्किल से मैं बच पाया आज मैं बड़ा हो गया हूं,मेरे शरीर के हर एक हिस्से मनुष्य के लिए काफी लाभप्रद है मेरी सूखी लकड़ी लोग आग जलाने के काम लेते हैं साथ में में मनुष्य और जानवरों के लिए फल भी देता हूं जिससे वो अपनी भूख को खत्म करते हैं.लोग मेरे फल खाकर मेरी प्रशंसा करते हैं.वोह मेरे फलो को बड़े ही चाव से खाते हैं.जब वो मेरी तारीफ़ करते हैं तोह मुझे बहुत ही ख़ुशी महसूस होती है और जब कोई जानवर मेरी पत्तिया खाते हैं तो वोह भी मुझे दुआए देते हैं.वो कहते हैं की वह क्या पत्तिय है.जब लोग मेरी प्रशंसा करते हैं तोह मुझे ख़ुशी का अनुभव होता हैं.
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मैं वातावरण के प्रदूषण को भी कम करने में सहायक सिद्ध होता हूं तथा मिट्टी को बांधे रखने में सहायक सिद्ध होता हूं.मेरी उम्र काफी लंबी होती है मैं हजारों साल तक एक ही जगह पर खड़ा रहता हूं.लोग आते हैं और जाते हैं और मुझे दुआएं दे जाते हैं लेकिन मुझे बहुत ही अच्छा लगता है.मुझे थोड़ा डर भी लगता है मैं सोचता हूं कि 1 दिन ऐसा ना आए कि कोई मनुष्य मुझे काट डाले या कोई जानवर मुझे नष्ट कर डाले.ये चिंता मुझे हमेशा सताती रहती है क्योंकि दुनिया में बहुत से ऐसे मनुष्य रहते हैं जो सिर्फ बिना किसी लाभ के ही मुझे नुकसान पहुंचा देते हैं वह यह भी नहीं सोचते कि मैं उनके लिए कितना उपयोगी है.उन सभी को सोचना चाहिए की में कितना उपयोगी हु और उन्हें मुझे नुक्सान नहीं पहचान चाहिए क्योंकी वास्तव में मुझे नुकसान पहुचाना इस दुनिया के जीव जन्तुओ को नुक्सान पहुचाना हैं.
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