४. मैंने सबक सीखा' इस शीर्षक से अपने जीवन का कोई रोचक प्रसंग लिखो।
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अपने गलती से सबक
बच्चो का तो स्वभाव ही चंचल होता है। वह हमेशा नई नई सरारते करते रहते है।
ऐसे ही एक सरारत मैंने भी की थी।मै 8 वर्ष का था। मै मैदान में क्रिकेट खेलने गया था। वहां पर बहुत से बच्चे खेल रहे थे। उनके साथ मै भी खेलने लगा। खेल खेल में मै एक मजाक किया कि,“ आ! गेंद मेरे पैर पर लग गया है”। सभी बच्चे दौड़ते हुए मेरे पास आ गए। वह मुझ से पूछने लगे कि, “अधिक घाव तो नई लगा”? मैंने कहा “मै तो मजाक कर रहा था”।सभी मुझपर बहुत गुस्सा हुए।
अगले दिन मै फिर से खेलने गया। वह मुझे सच में घाव लग गया। मै ज़ोर से चिल्लाया “ आ! घाव लग गया ”। परंतु किसी ने विश्वास नहीं किया और चले गए। मै वह रोता रहा। परंतु कोई मेरे पास नहीं आया। उस दिन मै अपनी गलती से सीख सीखा “की हमेशा मजाक नहीं करना चाहिए”।
सिख: हमें हमेशा मजाक नई करना चाहिए। सिर्फ वक्त पर ही मजाक करना चाहिए।