History, asked by sarthakj38, 10 months ago

मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।
जौ पसु हौं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥
पाहन हौं तो वही गिरि को जो कियो हरिछत्र पुरंदर धारन।
जौ खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी कूल कदंब की डारन।

ANSWER THE FOLLOWING:

( क ) रसखान श्रीकृष्ण का सानिध्य पाने के लिए क्या - क्या कामना करता है ?

( ख ) पक्षी बनकर कवि कहाँ रहना चाहता है और क्यों ?

( ग ) निर्जीव रूप में कवि ने क्या इच्छा प्रकट की है ?

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Answered by kantadevi7802
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Answer:

It is in hindi i can't understand

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