मानुष हो तो वही रसखानि,
बसौ बज गोकुल गाँव के ग्वारन।
जो पसु हाँ तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मॅझारन।
पाहन हो तो वही गिरि को जो कियो हरिछत्र पुरंदर धारन ।
जो खग हों तो बसेरो करौं, मिलि कालिंदी कूल कदंब की डारन।
(क) कृष्ण-भक्ति प्राप्त करने के लिए कवि क्या-क्या करना चाहता है ?
(ख) कवि किस पर्वत का पत्थर बनना चाहता है और क्यों ?
(ग) कवि पक्षी बनकर किस पेड़ पर बास करना चाहता है ?
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मानुष हो तो वही रसखानि,
बसौ बज गोकुल गाँव के ग्वारन।
जो पसु हाँ तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मॅझारन।
पाहन हो तो वही गिरि को जो कियो हरिछत्र पुरंदर धारन ।
जो खग हों तो बसेरो करौं, मिलि कालिंदी कूल कदंब की डारन।
(क) कृष्ण-भक्ति प्राप्त करने के लिए कवि क्या-क्या करना चाहता है ?
(ख) कवि किस पर्वत का पत्थर बनना चाहता है और क्यों ?
(ग) कवि पक्षी बनकर किस पेड़ पर बास करना चाहता है ?
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(♡˙︶˙♡)(♡˙︶˙♡)hey thanks for giving me answers (♡˙︶˙♡)(♡˙︶˙♡)
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