मानुष हौं तो वही रसखान ही बसों ब्रज गोकुल गांव के कारण जो पशु हो तो कहा बस मेरो चारों नित नंद की रेनू मजा रन पहन हो तो वही गिरी को जो क्यों हरी छात्र पुरंदर धारण जोखन हो तो बसेरा करो मिली कालिंदी कूल कदंब की डारन
Answers
Answer:
भावार्थ : रसखान इस सवैये में ब्रज में ही जन्म लेने के लिए तथा ब्रज से ही जुड़े रहने के लिए अपनी इच्छा प्रकट कर रहे हैं। वे कहते हैं कि यदि मैं अगले जन्म में मनुष्य बनकर आऊँ, तो ब्रज के गोकुल गाँव में ग्वाला बनकर ही आऊँ। लेकिन मेरे बस की बात नहीं यदि पशु बनूँ, तो नंदबाबा की गौओं के बीच में कोई गाय बनूँ। यदि पत्थर ही बन जाऊँ, तो वही गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनूँ, जिसे कृष्ण ने इन्द्र के प्रकोप से ब्रज वासियों की रक्षा के लिए उठाया था। यदि मैं पक्षी के रूप में जन्म लूँ, तो कालिंदी नदी (यमुना नदी) के किनारे रहने वाले कदंब वृक्षों की डालियों पर रहने वाले पक्षियों में मेरा बसेरा हो। तात्पर्य यह है कि कवि रसखान को ब्रजभूमि से इतना लगाव है कि किसी भी हालत में, किसी भी रूप में वे ब्रजभूमि में जन्म लेना चाहते हैं।
Explanation:
यह उत्तर आपकी सहायता करेगा।
Explanation:
पहली पंक्ति में कहा गया है कि यदि मैं अगले जन्म में मनुष्य बनो तो ब्रज के गोकुल गांव का ग्वाला बन्नू
दूसरी पंक्ति में कहा गया है कि मैं मनुष्य ना बन कर पशु बनू तो नंद बाबा की गाय बन्नू
तीसरी पंक्ति में कहा गया है कि यदि मैं मनुष्य,पशु ना बनकर पत्थर बनू तो गोवर्धन पर्वत का एक पत्थर बनू
चौथी पंक्ति में यह कहा गया है कि यदि मैं मनुष्य पशु तथा पत्थर न बनकर पंछी बनू तो यमुना नदी के पास वाले पेड़ पर रहने वाला पंछी बनू .
I hope it's helpful ✨✨