मानाद् वा यदि वा क्रोधाल्लोभाद् वा यदि वा भयात् ।
यो न्यायमन्यथा ब्रूते स याति नरकं नरः ।।
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मानाद् वा यदि वा क्रोधाल्लोभाद् वा यदि वा भयात् ।
यो न्यायमन्यथा ब्रूते स याति नरकं नरः ।।
अर्थ ➲ यदि कोई व्यक्ति जो न्यायाधीश के रूप में कार्यरत है, वह अपना कोई निर्णय भय, क्रोध अथवा लालच के कारण गलत देता है अर्थात वह किसी निर्णय में न्याय की प्रक्रिया का पालन नहीं करता और पक्षपातपूर्ण निर्णय देता है, अथवा गलत निर्णय देता है, तो ऐसे न्यायाधीश नरक में जाता है।
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Explanation:
यदि कोई न्याधेश वह मानव क्रोधी होता है और भय रहता है ये नया मन था बड़ी तेज वह यात्रा करके नरक में नर बनता है
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