मेण्डल के नियमों के विचलन को समझाइए।
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mendel law and exception in hindi प्रभाविता & पृथक्करण का नियम , मेण्डल का नियम , मेण्डलनिय
अपवाद
अपवाद1 मेण्डल का प्रथम नियम:- प्रभाविता का नियम:-
लक्षण कारक के रूप में होते है।
लक्षण कारक के रूप में होते है।कारक जोड़े में नहीं होते है।
लक्षण कारक के रूप में होते है।कारक जोड़े में नहीं होते है।यदि कारक असमान हो तो पीढी में जो लक्षण प्रकट होते है उसे प्रभावी लक्षण कहते है तथा जो लक्षण प्रकट नहीं होता है से अप्रभावी लक्षण कहते है।
लक्षण कारक के रूप में होते है।कारक जोड़े में नहीं होते है।यदि कारक असमान हो तो पीढी में जो लक्षण प्रकट होते है उसे प्रभावी लक्षण कहते है तथा जो लक्षण प्रकट नहीं होता है से अप्रभावी लक्षण कहते है।2 मेण्डल का दूसरा नियम:-पृथक्करण का नियम विसंयोजन या युग्मकों की शुद्धता का नियम(law of
segregation or purify of gamet)
segregation or purify of gamet)युग्मनी का एक साथ-2 रहते हुए भी एक दूसरे से संदूषित
नहीं रहते है। तथा युग्मक बनने के दौरान इनका
पृथक्करण होता है युग्मक किसी विशेष लक्षण के लिए
पूर्णतयाः शुद्ध होता है। इसे पृथक्करण या युग्मकों की शुद्धता का नियम कहते है।
पूर्णतयाः शुद्ध होता है। इसे पृथक्करण या युग्मकों की शुद्धता का नियम कहते है।मेण्डल के प्रथम एवं द्वितीय नियम को एक संकर क्रोश के द्वारा समझाया जा सकता है
पूर्णतयाः शुद्ध होता है। इसे पृथक्करण या युग्मकों की शुद्धता का नियम कहते है।मेण्डल के प्रथम एवं द्वितीय नियम को एक संकर क्रोश के द्वारा समझाया जा सकता हैचित्र
पूर्णतयाः शुद्ध होता है। इसे पृथक्करण या युग्मकों की शुद्धता का नियम कहते है।मेण्डल के प्रथम एवं द्वितीय नियम को एक संकर क्रोश के द्वारा समझाया जा सकता हैचित्र3 मेण्डलनिय अपवाद:- (एक संकर कोश)
पूर्णतयाः शुद्ध होता है। इसे पृथक्करण या युग्मकों की शुद्धता का नियम कहते है।मेण्डल के प्रथम एवं द्वितीय नियम को एक संकर क्रोश के द्वारा समझाया जा सकता हैचित्र3 मेण्डलनिय अपवाद:- (एक संकर कोश)1 अपूर्ण प्रभावित (incomplete dominance):- संतति दो जनकों से मिलती जुलती नहीं होती तथा एक नयी तीसरा लक्षण उत्पन्न होता है जो दोनो जनकों से मिलता-जुलता तथा इनके बीच का सा होता है इसे अपूर्ण प्रभावित कहते है।
पूर्णतयाः शुद्ध होता है। इसे पृथक्करण या युग्मकों की शुद्धता का नियम कहते है।मेण्डल के प्रथम एवं द्वितीय नियम को एक संकर क्रोश के द्वारा समझाया जा सकता हैचित्र3 मेण्डलनिय अपवाद:- (एक संकर कोश)1 अपूर्ण प्रभावित (incomplete dominance):- संतति दो जनकों से मिलती जुलती नहीं होती तथा एक नयी तीसरा लक्षण उत्पन्न होता है जो दोनो जनकों से मिलता-जुलता तथा इनके बीच का सा होता है इसे अपूर्ण प्रभावित कहते है।उदाहरण:- श्वान पुष्प स्नैप ड्रेगल/एंटीराइनम
पूर्णतयाः शुद्ध होता है। इसे पृथक्करण या युग्मकों की शुद्धता का नियम कहते है।मेण्डल के प्रथम एवं द्वितीय नियम को एक संकर क्रोश के द्वारा समझाया जा सकता हैचित्र3 मेण्डलनिय अपवाद:- (एक संकर कोश)1 अपूर्ण प्रभावित (incomplete dominance):- संतति दो जनकों से मिलती जुलती नहीं होती तथा एक नयी तीसरा लक्षण उत्पन्न होता है जो दोनो जनकों से मिलता-जुलता तथा इनके बीच का सा होता है इसे अपूर्ण प्रभावित कहते है।उदाहरण:- श्वान पुष्प स्नैप ड्रेगल/एंटीराइनमचित्र
पूर्णतयाः शुद्ध होता है। इसे पृथक्करण या युग्मकों की शुद्धता का नियम कहते है।मेण्डल के प्रथम एवं द्वितीय नियम को एक संकर क्रोश के द्वारा समझाया जा सकता हैचित्र3 मेण्डलनिय अपवाद:- (एक संकर कोश)1 अपूर्ण प्रभावित (incomplete dominance):- संतति दो जनकों से मिलती जुलती नहीं होती तथा एक नयी तीसरा लक्षण उत्पन्न होता है जो दोनो जनकों से मिलता-जुलता तथा इनके बीच का सा होता है इसे अपूर्ण प्रभावित कहते है।उदाहरण:- श्वान पुष्प स्नैप ड्रेगल/एंटीराइनमचित्र2 सह-प्रभाविता(co-dominance):- जबसंतति दोनो जनकों से मिलती जुलती होती है तो उसे सह-प्रभाविता कहते है।
पूर्णतयाः शुद्ध होता है। इसे पृथक्करण या युग्मकों की शुद्धता का नियम कहते है।मेण्डल के प्रथम एवं द्वितीय नियम को एक संकर क्रोश के द्वारा समझाया जा सकता हैचित्र3 मेण्डलनिय अपवाद:- (एक संकर कोश)1 अपूर्ण प्रभावित (incomplete dominance):- संतति दो जनकों से मिलती जुलती नहीं होती तथा एक नयी तीसरा लक्षण उत्पन्न होता है जो दोनो जनकों से मिलता-जुलता तथा इनके बीच का सा होता है इसे अपूर्ण प्रभावित कहते है।उदाहरण:- श्वान पुष्प स्नैप ड्रेगल/एंटीराइनमचित्र2 सह-प्रभाविता(co-dominance):- जबसंतति दोनो जनकों से मिलती जुलती होती है तो उसे सह-प्रभाविता कहते है।उदाहरण:- मनुष्य में रूधिर वर्गो की वंशानुगति
पूर्णतयाः शुद्ध होता है। इसे पृथक्करण या युग्मकों की शुद्धता का नियम कहते है।मेण्डल के प्रथम एवं द्वितीय नियम को एक संकर क्रोश के द्वारा समझाया जा सकता हैचित्र3 मेण्डलनिय अपवाद:- (एक संकर कोश)1 अपूर्ण प्रभावित (incomplete dominance):- संतति दो जनकों से मिलती जुलती नहीं होती तथा एक नयी तीसरा लक्षण उत्पन्न होता है जो दोनो जनकों से मिलता-जुलता तथा इनके बीच का सा होता है इसे अपूर्ण प्रभावित कहते है।उदाहरण:- श्वान पुष्प स्नैप ड्रेगल/एंटीराइनमचित्र2 सह-प्रभाविता(co-dominance):- जबसंतति दोनो जनकों से मिलती जुलती होती है तो उसे सह-प्रभाविता कहते है।उदाहरण:- मनुष्य में रूधिर वर्गो की वंशानुगतिमनुष्य में A, B, O प्रकार का रूधिर तंत्र पाया जाता है। इनमें विशेष प्रकार के प्रतिजन पाये जाते है। लाल रूधिर कणिकाएं की झिल्ली की बाहरी सतह पर विशेष प्रकार की बहु सर्करा पाई जाती है। जिसका नियंत्रण I जीन के द्वारा होता है।
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