मेण्डलवाद क्या है? युग्मकों की शुद्धता से आप क्या समझते है?
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मेण्डलवाद क्या है? युग्मकों की शुद्धता से आप क्या समझते है?
➲ मेण्डलवाद के नियम के अनुसार “जब दो विभिन्न लक्षणों को धारण करने वाले दो शुद्ध पादपों का परस्पर संकरण कराया जाता है, तो प्राप्त होने वाली पहली पीढ़ी की संतति में मातृपौधों में से केवल एक के ही प्रभावी लक्षण दिखाई देते हैं तथा दूसरे का प्रभावी लक्षण प्रदर्शित नहीं होता। ”
युग्मको की शुद्धता से तात्पर्य प्रत्येक सजातीय जोड़े के दोनों कारक युग्मक बनाते समय पृथक हो जाते हैं और केवल एक सदस्य कारक ही किसी एक युग्मक में पहुंचता है।
परस्पर विरोधी लक्षण वाले पौधों के बीच संस्करण कराने पर प्रथम पीढ़ी में प्रभावी लक्षण प्रकट होते हैं, लेकिन दूसरी पीढ़ी में विभिन्न लक्षणों का एक निश्चित अनुपात में पृथक्करण हो जाता है। स्पष्ट होता है कि पहली पीढ़ी में साथ-साथ रहने के बाद भी गुणों का आपस में मिश्रण नहीं होता है, और युग्मक निर्माण के समय गुण पृथक हो जाते हैं और युग्मकों की शुद्धता बनी रहती है, इसलिए इस नियम को ‘युग्मकों की शुद्धता’ का नियम भी कहा जाता है।
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मेण्डलवाद के विषण में कुछ और जानें —▼
मेण्डल ने मटर के पौधे का चुनाव किन कारणों से किया था
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मेण्डल ने अपने प्रयोग किस पर किये?
(क) मीठा मटर
(ख) जंगली मटर
(ग) उद्यान मटर
(घ) उपरोक्त सभी
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