मृण्मय मृदा ओर बलुई मृदा के बीच अंतर बताइए।
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मृण्मय मृदा ओर बलुई मृदा के बीच अंतर :
मृण्मय मृदा :
- कण बहुत छोटे आकार के होते हैं (0.005 mm से कम)।
- कणों के बीच कोई खाली स्थान नहीं होता है।
- पानी अंत: स्रवण नहीं होता।
- खिलौने , बर्तन और मूर्तियां बनाई जाती हैं।
- लंबे समय तक पानी बरकरार रख सकते हैं।
- इसमें ह्यूमस होता है इसलिए उपजाऊ है ।
- कई फसलों के लिए उपयुक्त है।
बलुई मृदा :
- कण काफी बड़े आकार के होते हैं (0.05 mm से 2 mm)।
- कणों के बीच काफ़ी खाली स्थान होता है।
- पानी अंत: स्रवण होता है।
- इसका कुछ उपयोग नहीं किया जाता।
- इसमें ह्यूमस नहीं होता है इसलिए उपजाऊ नहीं है ।
- फसलों के लिए उपयुक्त नहीं है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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मृण्मय मृदा ओर बलुई मृदा के बीच अंतर :
मृण्मय मृदा :
कण बहुत छोटे आकार के होते हैं (0.005 mm से कम)।
कणों के बीच कोई खाली स्थान नहीं होता है।
पानी अंत: स्रवण नहीं होता।
खिलौने , बर्तन और मूर्तियां बनाई जाती हैं।
लंबे समय तक पानी बरकरार रख सकते हैं।
इसमें ह्यूमस होता है इसलिए उपजाऊ है ।
कई फसलों के लिए उपयुक्त है।
बलुई मृदा :
कण काफी बड़े आकार के होते हैं (0.05 mm से 2 mm)।
कणों के बीच काफ़ी खाली स्थान होता है।
पानी अंत: स्रवण होता है।
इसका कुछ उपयोग नहीं किया जाता।
इसमें ह्यूमस नहीं होता है इसलिए उपजाऊ नहीं है ।
फसलों के लिए उपयुक्त नहीं है।
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