मैं नहीं जानता इस सन्यासी ने कभी सोचा था या नहीं कि उसकी मृत्यु पर कोई रोयेगा या नहीं लेकिन उस क्षण रोने वालों की कमी नहीं थी(नम आंखों को गिनना स्याही फैलाना है ) इस तरह हमारे बीच से वह चला गया जो हममें से सबसे अधिक छायादार फल- फूल गंध से भरा और सबसे अलग, सबका होकर, सबसे ऊंचाई पर मानवीय करुणा की दिव्य चमक से लहलहाता खड़ा था। जिसकी स्मृति हम सबके मन में ( जो उनके निकट थे ) किसी यज्ञ की पवित्र आग की आंच की तरह आजीवन बनी रहेगी । मैं उस पवित्र ज्योति की याद में श्रद्धानत हूँ क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है। लेखक ने ऐसा क्यों कहा?
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मैं नहीं जानता इस सन्यासी ने कभी सोचा था या नहीं कि उसकी मृत्यु पर कोई रोयेगा या नहीं लेकिन उस क्षण रोने वालों की कमी नहीं थी(नम आंखों को गिनना स्याही फैलाना है ) इस तरह हमारे बीच से वह चला गया जो हममें से सबसे अधिक छायादार फल- फूल गंध से भरा और सबसे अलग, सबका होकर, सबसे ऊंचाई पर मानवीय करुणा की दिव्य चमक से लहलहाता खड़ा था। जिसकी स्मृति हम सबके मन में ( जो उनके निकट थे ) किसी यज्ञ की पवित्र आग की आंच की तरह आजीवन बनी रहेगी । मैं उस पवित्र ज्योति की याद में श्रद्धानत हूँ क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है। लेखक ने ऐसा क्यों कहा?
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