Hindi, asked by durgesh4499, 3 months ago

 मैं नहीं जानता इस सन्यासी ने कभी सोचा था या नहीं कि उसकी मृत्यु पर कोई रोयेगा या नहीं लेकिन उस क्षण रोने वालों की कमी नहीं थी(नम आंखों को गिनना स्याही फैलाना है ) इस तरह हमारे बीच से वह चला गया जो हममें से सबसे अधिक छायादार फल- फूल गंध से भरा और सबसे अलग, सबका होकर, सबसे ऊंचाई पर मानवीय करुणा की दिव्य चमक से लहलहाता खड़ा था। जिसकी स्मृति हम सबके मन में ( जो उनके निकट थे ) किसी यज्ञ की पवित्र आग की आंच की तरह आजीवन बनी रहेगी । मैं उस पवित्र ज्योति की याद में श्रद्धानत हूँ क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है। लेखक ने ऐसा क्यों कहा?​

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Answered by prasadyash796
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 मैं नहीं जानता इस सन्यासी ने कभी सोचा था या नहीं कि उसकी मृत्यु पर कोई रोयेगा या नहीं लेकिन उस क्षण रोने वालों की कमी नहीं थी(नम आंखों को गिनना स्याही फैलाना है ) इस तरह हमारे बीच से वह चला गया जो हममें से सबसे अधिक छायादार फल- फूल गंध से भरा और सबसे अलग, सबका होकर, सबसे ऊंचाई पर मानवीय करुणा की दिव्य चमक से लहलहाता खड़ा था। जिसकी स्मृति हम सबके मन में ( जो उनके निकट थे ) किसी यज्ञ की पवित्र आग की आंच की तरह आजीवन बनी रहेगी । मैं उस पवित्र ज्योति की याद में श्रद्धानत हूँ क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है। लेखक ने ऐसा क्यों कहा?

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Answered by meerab6500
1

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