मानक भाषा हिन्दी की कितने उपभाशाएँ हैं
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मानक हिन्दी हिन्दी का मानक स्वरूप है जिसका शिक्षा,
कार्यालयीन कार्यों आदि में प्रयोग किया जाता है। भाषा का क्षेत्र
देश, काल और पात्र की दृष्टि से व्यापक है। इसलिये सभी
भाषाओं के विविध रूप मिलते हैं। इन विविध रूपों में एकता की
कोशिश की जाती है और उसे मानक भाषा कहा जाता है।
हिन्दी में 'मानक भाषा' के अर्थ में पहले 'साधु भाषा', 'टकसाली भाषा', शुद्ध भाषा', 'आदर्श भाषा' तथा 'परिनिष्ठित भाषा' आदि का प्रयोग होता था। अंग्रेज़ी Teg ‘Wee के प्रतिशब्द के रूप में 'मान' शब्द के स्थिरीकरण के बाद '“स्टैंडर्ड लैंग्विज' के अनुवाद के रूप में 'मानक भाषा' शब्द चल पड़ा। अंग्रेज़ी के Wee शब्द की व्युत्पत्ति विवादास्पद है। कुछ लोग इसे 'स्टैंड' (खड़ा होना) से जोड़ते हैं तो कुछ लोग एक्सटैंड “बढ़ाना' से। मेरे विचार में यह स्टैंड' से संबद्ध है। वह जो कड़ा होकर, स्पष्टत: औरों से अलग प्रतिमान का काम करे। 'मानक भाषा' भी अमानक भाषा-रूपों से अलग एक प्रतिमान का काम करती है। उसी के आधार पर किसी के द्वारा प्रयुक्त भाषा की मानकता अमानकता का निर्णय किया जाता है।