मानक भाषा किसे कहते हैं
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किसी भी राष्ट्र अथवा देश में एक ऐसी भाषा की आवश्यकता रहती है जो विभिन्न व्यवहार क्षेत्रों में संप्रेषण साधन की महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सके। इसके लिए यह भी ज़रूरी है कि वह भाषा क्षेत्रीय तथा सामाजिक विविधिताओं से ऊपर उठकर सर्वग्राह्य और सर्वमान्य हो। वैसे तो किसी भी समाज की संप्रेषण व्यवस्था सर्वमान्य और सर्वग्राह्य भाषा को अपनी सामाजिक प्रक्रिया के भीतर ढूंढ लेती है किंतु उसके सम्यक विकास और प्रसार के लिये उसके नियोजन की भी आवश्यकता पड़ती है-भाषा नियोजन का यह कार्य दो दिशाओं में प्रवृत्त होता है-एक, मानकीकरण और दूसरा, आधुनिकीकरण। इन दानों के लक्ष्य और साध्य तो एक होते है किंतु इनके उपकरण व साधन अलग अलग होते हैं मानकीकरण रूपात्मक एकीकरण की प्रक्रिया है जिसमें व्याकरणिक रूपों को अनेकता में एकता के आधार पर मानक बनाया जाता है और आधुनिकीकरण प्रकार्यात्मक विविधता की प्रक्रिया है जिसमें भाषिक रूपों को विभिन्न संदर्भों में लाने का प्रयास रहता है। इससे भाषा को आदर्श रूप प्राप्त होता है और वह संपर्क भाषा के रूप में प्रयुक्त होत है। भाषा के इसी आदर्श रूप को मानक भाषा कहा जाता है।
भाषा के मानकीकरण की प्रक्रिया में चार बातें मुख्य रूप से रहती हैं -
(1) चयन
(2) संसक्ति
(3) प्रयोग और
(4) स्वीकृति।
Question:- मानक भाषा किसे कहते हैं?⤵
Answer:-⤵
जो भाषा व्याकरण पर निर्धारित हो उससे मानक भाषा कहते हैं I