मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड को समझाइए
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Answer:
TUPAC के अनुसार मानक इलेक्ट्रोड विभव का प्रयोग केवल मानक अपचयन विभव को प्रदर्शित करने के लिये किया जाता है। तल्लों के मानक इलेक्ट्रोड विभव क्रमशः नीचे से ऊपर की ओर बढते है। (v) इस पुरी श्रेणी में ऊपर वाला तल नीचे वाले तत्व को उसके मतटा के विलयन से विस्थापित करता है, ( जिस तत्व का ऑक्सीकरता विभत जितना आधक टोला है।
Explanation:
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मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड:
मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड -25∘C व एक वायुमण्डल दाब पर मोलर (इकाई सांद्रता) के हाइड्रोजन आयन के सम्पर्क में हाइड्रोजन गैस, मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड का निर्माण करती है। इसका इलेक्ट्रोड विभव शून्य माना जाता है।
मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड में एक प्लेटिनम की छड़ होती है जिसके एक सिरे पर प्लेटिनम की पन्नी लगी होती है इस पर (Pt) प्लेटिनम ब्लैक का लेप चढ़ा होता है इसे 1M HCl के विलयन में डुबो देते है। इस पर (1 atm ) एक वायुमंडलीय दाब तथा 25 डिग्री सेंटीग्रेट ताप पर हाइड्रोजन गैस प्रवाहित करते हैं।
बनाने की विधि:
इसमें आयताकार प्लैटिनम की एक प्लेट पर प्लैटीनम ब्लैक का लेप करके मोलर हाइड्रोजन आयन में प्लैटीनम तार द्वारा लटका देते है। प्लैटीनम तार का ऊपरी सिरा मर्करी में रहता है। मर्करी में कॉपर का तार डालकर बाहरी परिपथ से सम्पर्क किया जा सकता है। प्लैटीनम की प्लेट को काँच के जैकेट द्वारा घेर देते है। इस जैकेट में एक पार्श्व नली से शुष्क हाइड्रोजन एक वायुमण्डल दाब पर प्रवाहित की जाती है। सम्पूर्ण उपकरण का ताप 25∘C रखा जाता है। इस प्रकार मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड तैयार हो जाता है।
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