म्नलिखित पठित पद्यांश को पढकर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
आगे चना गुरूमातु दए ते , लए तुम चाबि हमें नहिं दीने।स्यांम कह्यो मुसकाय सुदामा सो , " चोरी की बान में हो हौ जू प्रवीने।।
पोटरि कॉख में चॉपि रहे तुम , खोलत नाहिं सुधा रस भीने।पाछिलि बानि अजौ न तजो तुम , तैसई भाभी के तंदुल कीन्हे ।।"
1 चने किसके द्वारा किसको दिए गए?
2चोरी की वान में हौ जू प्रवीने " यह पंक्ति किसने किससे कही?
3 पोटली के चावल कैसे रस में भीगे है?
4 कौन अपनी बचपन की चोरी की आदत नही छोड पाए थे?
5 सुदामा अपनी बगलमे क्या छिपा रहे थे?
6'बान' का अर्थ है।
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- चने गुरु माता ने सुदामा को दिए
- यह पंक्ति श्री कृष्ण ने सुदामा को कहीं
- सुधा रस से
- सुदामा अपने बचपन की चोरी की आदत नहीं छोड़
- चावल
- बान का अर्थ चावल
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I hope you anderstand ..........
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