मानसून के आगमन एवं मानसून कि वापसी की प्रक्रिया को स्पष्ट किजिए?
Answers
Explanation:
मानसून के आगमन की ऋतु को ‘दक्षिण-पश्चिम मानसून की ऋतु’ के नाम से भी जाना जाता है| मानसून भारत के मालाबार तट पर जून के प्रथम साप्ताह में पहुँच जाता है,जहां से यह अरब सागर और बंगाल की खाड़ी नाम की दो शाखाओं में बंट जाता है| अरब सागर शाखा उत्तर की ओर बढ़ती हुई लगभग दस दिन बाद मुंबई तक पहुँच जाती है| बंगाल की खाड़ी शाखा की एक उप-शाखा असम व अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों की ओर चली जाती है और दूसरी उप-शाखा भारत के पूर्वी तट से टकराती है| जून के मध्य तक मानसून मध्य गंगा मैदान तक पहुँच जाता है और आगे बढ़ती हुई मानसूनी हवाएँ जुलाई की शुरुआत तक सम्पूर्ण भारत को अपने प्रभाव में ले लेती हैं|
Answer:
खेती-बाड़ी मानसूनी बारिश पर ही निर्भर करती है। लेकिन जहां सिंचाई के साधन हैं भी, वहां भी मानसूनी बारिश जरूरी है, क्योंकि बारिश नहीं होगी तो नदियां-झीलें भी सूख जाएंगी जहां से सिंचाई के लिए पानी आता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मानसून समृद्धि का ही नहीं, बल्कि संस्कृति का भी सूचक है। यह सांस्कृतिक रूप से भी हमारी जीवनशैली में रचा-बसा है। हमारे पौराणिक ग्रंथों एवं कथाओं में मानसून का जिक्र है। इसलिए आज भी देश के विभिन्न हिस्सों में संगीत, वेशभूषा, मकानों की बनावट व खान-पान पर मानसून का प्रभाव साफ दिखता है। मानसून जब देश में दस्तक देता है, तो उस समय करीब-करीब सारा भारत तप रहा होता है और मानसून की फुहारें तन और मन को राहत प्रदान करती हैं। इसलिए मानसून इंसान को ही नहीं, बल्कि हर प्राणी को गर्मी से राहत प्रदान करता है।