मानसूनी वर्षा की मात्रा और समय किन बातों पर निर्भर करता है
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भारत में मॉनसून हिन्द महासागर व अरब सागर की ओर से हिमालय की ओर आने वाली हवाओं पर निर्भर करता है। जब ये हवाएं भारत के दक्षिण पश्चिम तट पर पश्चिमी घाट से टकराती हैं तो भारत तथा आसपास के देशों में भारी वर्षा होती है। ये हवाएं दक्षिण एशिया में जून से सितंबर तक सक्रिय रहती हैं। वैसे किसी भी क्षेत्र का मॉनसून उसकी जलवायु पर निर्भर करता है। भारत के संबंध में यहां की जलवायु ऊष्णकटिबंधीय है और ये मुख्यतः दो प्रकार की हवाओं से प्रभावित होती है - उत्तर-पूर्वी मॉनसून व दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून। उत्तर-पूर्वी मॉनसून को प्रायः शीत मॉनसून कहा जाता है। यह हवाएं मैदान से सागर की ओर चलती हैं, जो हिन्द महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी को पार करके आती हैं। यहां अधिकांश वर्षा दक्षिण पश्चिम मानसून से होती है। भारत में पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर से कर्क रेखा निकलती है। इसका देश की जलवायु पर सीधा प्रभाव पड़ता है। ग्रीष्म, शीत और वर्षा ऋतुओं में से वर्षा ऋतु को प्रायः मॉनसून भी कह दिया जाता है।