Science, asked by bhattharish711, 6 months ago

मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराहिं।
मुकताफल मुकता चुगै, अब उड़ि अनत न जाहि।।।​

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Answered by aryasngh
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मानसरोवर रूपी कुंड में अमृत रूपी जल भरा है। आत्मा रूपी हंस उसमे क्रीड़ा कर रहा है और जीवात्मा शून्य शिखर तक पहुँच चुकी है, मस्त होकर क्रीड़ा कर रही है। जीवात्मा स्वछंद रूप से मुक्ताफल चुनने में व्यस्त है और इस परम आनंद को छोड़कर विषय वासनाओं के सुख की प्राप्ति की उसे आशा नहीं है। अब वह कहीं और नहीं जाना चाहती है। इस साखी में रूपक, श्लेष और अन्योक्ति अलंकारों का प्रयोग किया गया है।

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