Hindi, asked by dixitpreeti475, 2 months ago

मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराहिं। मुकताफल मुकता चुनें, अब उड़ि अनत न जाहिं।। । भावार्त और प्रसंग ​

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Answered by divyanka2732
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Answer:

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Explanation:

भावार्थ : जो हंस (जीव) मानसरोवर (ईश्वर सुमिरण) आ गए हैं वे यहाँ पर मस्त हो गए हैं और अन्यत्र किसी स्थान पर जाने की उनकी चाह समाप्त हो गयी है। यहाँ पर उनको परम सुख की प्राप्ति हो गयी है। जीव भव सागर से मुक्त होने के लिए स्थान स्थान पर भटकता रहता है, मंदिर मस्जिद तीर्थ आदि स्थानों पर वह ईश्वर प्राप्ति के जतन के लिए विचरण करता है, लेकिन परम सुख के अभाव में वह भटकता ही रहता है। लेकिन जब हंसा को मानसरोवर जैसा स्थान मिल जाता है तो उसे सुख की प्राप्ति होती है और उसका भटकाव समाप्त हो जाता है । सांसारिक सुखो की इच्छा भी समाप्त हो जाती है ।

Answered by tarjulevinay
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Explanation:

शब्दार्थ मानसरोवर मनरूपी सरोवर/तिब्बत में स्थित एक बड़ी झील, सुभर अच्छी तरह भरा हुआ, हंसा हंस पक्षी/ जीवात्मा, केलि क्रीड़ा/खेल, कराहिं करना, मुकताफल - मुक्ति का फल ईश्वर की भक्ति, मुकता मुक्त भाव से, उड़ि उड़कर, अनत अन्यत्र कहीं और जाहिं जाना। / मोती/

प्रसंग प्रस्तुत साखी के माध्यम से कबीर ने जीवात्मा और परमात्मा के संबंधों को उद्घाटित किया है। व्याख्या प्रस्तुत साखी के माध्यम से कबीर दास कहना चाहते हैं कि मानसरोवर अच्छी तरह से भरा हुआ है और हंस उसमें क्रीड़ा कर रहा है। वह मोती चुग रहा है तथा इस आनंददायक स्थान को छोड़कर कहीं और नहीं जाना चाहता। अर्थात मन रूपी सरोवर भक्ति से भरा है जिसमें हंस रूपी जीवात्मा क्रीड़ा कर रहा। है। वह मुक्ति रूपी फल को खाने के पश्चात् और कहीं नहीं जाना चाहता।

विशेष प्रस्तुत साखी दोहा छंद में रचित है। भाषा सधुक्कड़ी है तथा सहज और सरल है। पूरे दोहे में 'रूपक अलंकार है। हंस जीवात्मा का, मानसरोवर भक्ति से पूर्ण मन तथा मुक्ता मोक्ष कबीर की साखियाँ और संबद (मुक्ति) का प्रतीक है।

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