Hindi, asked by mpchandrakar007, 2 months ago

मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के प्रमुख प्रावधानों का वर्णन कीजिए​

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Answered by jayprajapati73543
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Answer:

अधिनियम में फुल आठ अध्याय तथा 43 धाराएँ हैं। (2) अधिनियम की धारा 1(3) के अनुसार उक्त अधिनियम 28 सितम्बर, 1993 से प्रवृत्त मा

(3) राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (National Human Rights Communisions) अधिनियम की धारा के प्रावधानों के तहत मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु केन्द्रीय सरकार राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन कर सकती है। इस आयोग में 8 सदस्य होते हैं तथा अध्यक्ष उम व्यायालय का पूर्व मुख्य न्यायाधीश होता है। सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष या 20 वर्ष तक की आयु होता है। सदस्यों की नियुक्ति एक समिति की सिफारिश पर राष्ट्रीय द्वारा की जाती है।

(4) राज्य मानव अधिकार आयोग (State Human Rights Commision) अधिनियम की धारा 21 के प्रावधान के अन्तर्गत राज्य सरकार एक राज्य मानव अधिकार आयोगका गठन कर सकती है, जिसमें अध्यक्ष के रूप में उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीशको नियुक्त किया जाता है। नियुक्ति समिति की सिफारिश पर राज्यपाल द्वारा 5 वर्ष के लिये या 70 वर्ष तक के लिये काँ जाती है।

(5) आयोग द्वारा (Inquiry by the Commision) मानव अधिकार आयोगको अधिकार उल्लंघन की शिकायत प्राप्त होने पर वह राज्य स्तरीय उस शिकायत की जांच करने का अधिकार रखता शिकायत की जाँच में राष्ट्रीय एजेंसियों की सहायता ले सकता है। आयोग अपनी कार्यवाहियों को प्रकाशित करने का अधिकार भी रखता है।

(6) मानव अधिकार न्यायालय (Human Rights Court) अधिनियम की पारा 30 में वह प्रावधान किया गया है कि मानव अधिकारों के उल्लंघन के अपराधों की शीघ्र सुनवाई हेतु राज्य सरकार प्रत्येक जिले में न्यायालय की सहमति से एक अधिकार न्यायालय बना सकती है। ऐसे न्यायालयों में कार्यवाही करने हुए विशिष्ट लोक अभियोजक की भी नियुक्ति की जा

सकती है। (7) अधिनियम की धारा 15 के अन्तर्गत आयोग के समक्ष झूठा साक्ष्य देने पर अभियोग चलाने का उपन्ध है।

(8) सदस्य एवं अधिकारी लोक सेवक होंगे अधिनियम की धारा 39 के अनुसार आयोग राज्य आयोग का प्रत्येक सदस्य एवं इस अधिनियम के अधीन कृत्यों का प्रयोग करने के लिए आयोग वा राज्य आयोग द्वारा नियुक्त प्रत्येक अधिकारी को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 21 के अन्तर्गत लोक सेठक समझा जाएगा।

मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 का मूल्यांकन मानव अधिकारी के संरक्षण एवं नुपालन के लिये संविधान के उपदधों के अतिरिक्त, मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1998 का पारित होना एक मील का पत्थर तथा स्वागत योग्य कदम है। यद्यपि मानव अधिकारों के संरक्षण एवं अनुपालन के प्रत्येक उपाय का स्वागत किया जाना चाहिये वह स्वीकार करना की ही पड़ेगा कि अधिकार संरक्षण अधिनियम में कई कमियाँ तथा त्रुटियाँ है जो संक्षेप में निम्नलिखित है

सर्वप्रथम राष्ट्रीय मानव अधिकार कमीशंग की स्वायत्तता एवं क्षमता के बारे में कई अस्पष्टता है।

द्वितीय, अधिनियम की धारा 2 (घ) में अधिकारों की परिभाषा बड़ी संकीर्ण है

मानव अधिकारों को केवल व्यक्ति के जीवन स्वतंत्रता, समानता एवं गरिमा से सम्बन्धित अधिकारों तक सीमित करना उचित नहीं है।

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