मानव बुद्धिशील प्राणी है। जिस विषय पर दूसरे प्राणी विचार नहीं कर सकते हैं, उन पर वह चिंतन करता है इसी कारण वह संसार के समस्त जीवधारियों में श्रेष्ठ माना जाता है। जहाँ एक ओर उसमें विद्या, बुद्धि प्रेम आदि श्रेष्ठ गुण विद्यमान हैं, वहीं दूसरी तरफ वह राग, द्वेष, हिंसा आदि बुरी प्रवृत्तियों से भी ओत-प्रोत है। श्रेष्ठ तत्वों का अपने अंदर विकास करने के लिए मानव को स्वावलंबी बनना पड़ेगा। दूसरों का सहारा छोड़कर केवल अपने सहारे पर जीवन बिताना स्वावलंबन कहलाता है। अपने पैरों पर खड़ा होने वाला व्यक्ति न तो समाज में निरादर पाता है और न घृणा का पात्र ही होता है। वह अपने बल पर पूर्ण विश्वास प्राप्त करता है। वास्तव में स्वावलंबन मानव का वह गुण है जो उसे आत्मविश्वासी बनाता है। जो व्यक्ति स्वयं कर्मठ एवं स्वावलंबी नहीं है. ऐसे व्यक्ति की कोई भी सहायता नहीं करता है और ऐसे व्यक्ति का जीवन पशु से भी हेय होता है। आज के युग में उसी का जीवन सार्थक है जो स्वावलंबी है, क्योंकि स्वावलंबन जीवन का मूलमंत्र है। जो लोग स्वावलंबन को एक ढकोसला तथा सिद्धांत मात्र मानते हैं, वह अपनी अल्पज्ञता का परियच देते हैं। जो व्यक्ति इस प्रकार का विपरीत तर्क करते हैं वे कुठाओं से आवृत होते हैं। ऐसे लोग तर्क के आधार पर स्वालंबी जीवों को एकांत में खड़े होने वाले अरण्य का वृक्ष मानते है।
1. मनुष्य को अन्य जीवों से श्रेष्ठ मानने का क्या कारण है?
2. स्वावलंबन क्या है? स्वावलंबी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति का उल्लेख कीजिए।
3. स्वावलंबन रहित व्यक्ति के संबंध में लेखक का क्या मत है और क्यों?
4. "वह अपने बल पर पूर्ण विश्वास प्राप्त करता है प्रस्तुत वाक्य का प्रकार बताइए।
Answers
दिए गए गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर निम्न प्रकार से दिए गए है।
- मनुष्य को अन्य जीवों से श्रेष्ठ मानने का कारण यह है कि मनुष्य बुद्धिशील प्राणी है तथा वह चिंतन कर सकता है, अन्य प्राणी चिंतन नहीं कर सकते।
- दूसरों का सहारा छोड़कर केवल अपने सहारे पर जीवन बिताना स्वावलंबन कहलाता है। स्वावलंबी व्यक्ति न तो समाज में निरादर पाता है न ही घृणा का पात्र होता है ।
- स्वावलंबन रहित व्यक्ति के संबंध में लेखक के यह विचार है कि ऐसे व्यक्ति का जीवन पशु के समान है, ऐसे व्यक्ति की समाज में कोई सहायता नहीं करता है।
- " वह अपने बल पर पूर्ण विश्वास प्राप्त करता है ।" यह वाक्य विधान वाचक वाक्य है।
1. मनुष्य को अन्य जीवों से श्रेष्ठ मानने का क्या कारण है?
➲ मनुष्य को जीवों से श्रेष्ठ प्राणी इसलिए माना जाता है क्योंकि वह एक बुद्धिजीवी प्राणी है। जिस विषय पर अन्य प्राणी विचार विमर्श नहीं कर सकते, उन पर मनुष्य चिंतन कर सकता है। उसके अंदर बुद्धि और विद्या आदि विशेष विशेष गुण होते हैं।
2. स्वावलंबन क्या है? स्वावलंबी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति का उल्लेख कीजिए।
➲ स्वावलंबन से तात्पर्य दूसरों का सारा छोड़कर केवल अपने सहारे पर जीवन बिताने की क्रिया से है। स्वाबलंबी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति बेहद अच्छी होती है। उस का समाज में मान-सम्मान होता है। उसी व्यक्ति का जीवन सार्थक होता है जो स्वाबलंबी होता है। वह व्यक्ति आत्मविश्वास से भरा होता है। वह समाज में न तो निरादर पाता है, और न ही घृणा का पात्र बनता है।
3. स्वावलंबन रहित व्यक्ति के संबंध में लेखक का क्या मत है और क्यों?
➲ स्वावलंबन रहित व्यक्ति के विषय में लेखक का मत है कि ऐसे व्यक्ति समाज की दृष्टि में यह होता है, और ऐसा व्यक्ति पशु से भी बदतर होता है। ऐसा व्यक्ति अल्पज्ञानी होता है जिसका समाज में कोई सम्मान नहीं होता।
4. "वह अपने बल पर पूर्ण विश्वास प्राप्त करता है प्रस्तुत वाक्य का प्रकार बताइए।
➲ ‘वह अपने बल पर पूर्ण विश्वास प्राप्त करता है’ ये वाक्य एक सरल वाक्य है।
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