"मानव एक सामाजिक प्राणी होने के कारण अपनी बात दूसरों तक पहुँचाना चाहता है। व्यक्तियों
माथ्य होनेवाले विचारों का आदान-प्रदान ‘संप्रेषण' कहलाता है। मनुष्य ध्वनि संकेतों अथवा इशारों का
प्रयोग करके दूसरों से संप्रेषण करता है । मानव, संप्रेषण के लिए जिन ध्वनि-संकेतों का सहारा लेता
है, वह 'भाषा' ही है।
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मानव एक सामाजिक प्राणी होने के कारण अपनी बात दूसरों तक पहुँचाना चाहता है।
व्यक्तियों मध्य होनेवाले विचारों का आदान-प्रदान ‘संप्रेषण' कहलाता है।
मनुष्य ध्वनि संकेतों अथवा इशारों का प्रयोग करके दूसरों से संप्रेषण करता है ।
मानव, संप्रेषण के लिए जिन ध्वनि-संकेतों का सहारा लेता है, वह 'भाषा' ही है।
Hope it helps!!
Thank u
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हे मीत्र तुमहारे प्रश्न का उत्तर यह रहा।
Explanation:
1)मानव एक सामाजिक जीव है।
2)मानव संप्रेषण मे ईस्तमाल कीये जानेवाले ध्वनि संकेतो को ही भाशा मे अपनाऐ जाते है।
3)संप्रेषण कहलाता है।
4)शब्दो का उचित क्रम होना अत्यंत आवश्यक है।
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Thanks and have a good day ahead
please note a kind request that "take aclear picture of the text some world were so blur thant I was not able to read and by assuming it I had to carry on so please take care on this matter. thanks again".
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