मानव हृदय की आन्तरिक संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए।
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हृदय की संरचना - हृदय कैसे कार्य करता है?
Saturday, 30 Dec, 3.21 am
हृदय हमारे शरीर का बहुत महत्वपूर्ण अंग है। यह वक्ष के बाईं ओर दोनों फेफड़ों के मध्य स्थित होता है। हृदय का आकार मुट्ठी के समान है। इसका वजन लगभग 300 ग्राम होता है। हृदय चारों ओर से एक झिल्ली द्वारा लिपटा रहता है। इस झिल्ली को 'पेरीकार्डियम' कहते हैं। हृदय निरंतर सिकुड़ता और फैलता रहता है।
इस क्रिया को सम्पादित करके यह शरीर के सभी हिस्सों में रक्तवाहिनियों द्वारा रक्त भेजता रहता है।
हृदय रूपी पम्प के दो भाग हैं - एक दायां और दूसरा बायां। ये दोनों भाग मांस के परदे द्वारा एक-दूसरे से अलग रहते हैं। इस परदे को 'सेप्टम' कहते हैं। इसके कारण बाएं भाग से रक्त न तो दाएं भाग में जा सकता है और न ही दाएं भाग से बाएं भाग में आ सकता है। इस प्रकार दायां और बायां भाग अलग-अलग पम्प के रूप में कार्य करता है। अत: हृदय एक पम्प का नहीं, दो पम्पों का काम करता है। सारे शरीर का रक्त शिराओं द्वारा दाएं भाग में पहुंचता है और यहीं से फेफड़ों में आता है। बायां भाग फेफड़ों से रक्त लेकर पूरे शरीर में संचरित करता है।
Answer:
हृदय वक्षगुहा में फेफडों के मध्य स्थित होता है। यह दोहरे हृदयावरण (pericardium) से घिरा होता है। दोनों झिल्लियों के मध्य हृद्यावरणीय तरल (pericardial fluid) भरा होता है।
अलिन्द (auricle) एक अन्तरा-असिन्द पट (inter auricular septum) द्वारा दाएँ तथा बाएँ अलिन्द में बँटा होता है। अन्तरा- अलिन्द पट पर एक अण्डाकार गट्टा होता है जिसे फोसा ओवेलिस (fossa ivalis) कहते है। दाएँ अलिन्द में पश्च महाशिरा तथा अग्र महाशिरा के छिद्र होते हैं। पश्च महाशिरा के छिद्र पर यूस्टेकियन कपाट (eustachian valve) होता है। अग्र महाशिरा के छिद्र के ही पास एक छिद्र कोरोनरी साइनस (coronary sinus) होता है। इस छिद्र पर कोरोनरी कपादृ या थिबेसिंयन कपाट (auriculo ventricular node) होती है। दाएं अलिन्द में अग्र तथा पश्च महाशिराओं के छिद्रों के समीप स्पन्दन केन्द्र या पेस मेकर (pace maker) होता है। इससे हृदय में संकूचन प्रक्रिया प्रारम्भ होती है। अन्तरा-अलिन्द पट पर अलिन्द-निलय गाँठ (auriculo ventricular node) होती है। यह हृदय संकुचन की तरंगों को निलय में प्रेषित करती है। बाएँ अलिन्द में दोनो फुफ्फुसीय शिराएँ एक सम्मिलित छिद्र द्वारा खुलती है।
एक अन्तरा-निलय पट (inter-ventricular septum) निलय को दाएँ व बाएँ निलय में बाँटता है। निलय का पेशी स्तर अलिन्द की अपेक्षा बहुत मोटा होता है। बाएँ निलय का पेशी स्तर सबसे अधिक मोटा होता है। निलय की भिति में स्थित मोटे पेशी स्तम्भों को पैपीलरी पेशियों (papillary muscles) कहते है। दाएँ निलय से पल्मोनरी चाप निकलती है। यह अशुद्ध रुधिर को फेफडों में पहुंचाती है। बाएँ निलय से कैरोटिको सिस्टैंमिक चाप निकलती है, जो सारे शरीर में शुद्ध रुधिर पहुंचाती है। इन चापों के आधार पर तीन-तीन छोटे अर्द्धचन्द्राकार कपाट (semilunar valves) पाए जाते हैं|
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