Hindi, asked by jodhevedant, 18 days ago

मानव जीवन में आत्मसम्मान का अत्यधिक महत्त्व है। आत्मसम्मान vec H अपने व्यक्तित्त्व को अधिकाधिक सशक्त एवं प्रतिष्ठित बनाने की भावना निहित होती है। इससे शक्ति, साहस, उत्साह आदि गुणों का जन्म होता है जो जीवन की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। आत्मसम्मान की भावना से पूर्ण व्यक्ति संघर्षों की परवाह नहीं करता है और हर विषम परिस्थिति से टक्कर लेता है। ऐसे व्यक्ति जीवन में पराजय का मुँह नहीं देखते तथा निरंतर यश की प्राप्ति करते हैं। आत्मसम्मानी व्यक्ति सत्य, न्याय और नीति के पथ का अनुगमन करता है। उसके जीवन में ही सच्चे सुख और शांति का निवास होता है। परोपकार, जनसेवा जैसे कार्यों में उसकी रुचि होती है। लोकप्रियता और सामाजिक प्रतिष्ठा उसे सहज ही प्राप्त होती है। ऐसे व्यक्ति में अपने राष्ट्र के प्रति सच्ची निष्ठा होती है तथा मातृभूमि की उन्नति के लिए वह अपने प्राणों को उत्सर्ग करने में भी सुख की अनुभूति करता है। चूँकि आत्मसम्मानी व्यक्ति अपनी अथवा दूसरों की आत्मा का हनन करना पसंद नहीं करता है, इसलिए वह ईर्ष्या-द्वेष जैसी भावनाओं से मुक्त होकर मानव मात्र को अपने परिवार का अंग मानता है। उसके हृदय में स्वार्थ, लोभ और अहंकार का भाव नहीं होता। निश्छल हृदय होने के कारण वह आसुरी प्रवृत्तियों से सर्वथा मुक्त होता hat vec epsilon | उसमें ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति एवं विश्वास होता है, जिससे उसकी आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है। जीवन को सरस और मधुर बनाने के लिए आत्मसम्मान रसायन तुल्य है। 1. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।​

Answers

Answered by sangitasingh271108
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Answer:

aatmsaman bahut hi mulyavan h

Answered by satyamwakchaure8
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Answer:

dizzy woohoo FDI so do do socks and shoes to help reduce their you were expecting your call will be wet room well and I have the

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