मानव-जीवन में शिक्षा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। शिक्षित मनुष्य अपनी क्षमताओं को परख पाता है। तभी वह प्रयाज में अपनी सही पहचान बना पाता है। शिक्षा मनुष्य को मस्तिष्क और शरीर का उचित प्रयोग सिखाती है। वह शिक्षा जो मनुष्य को पाठ्य पुस्तकों के ज्ञान के अतिरिक्त कोई गंभीर चिंतन न दे सके, कोई राह न दिखा सके सचमुच व्यर्थ है। हमारी शिक्षा यदि सुसंस्कृत, सभ्य व सच्चरित्र नागरिक नहीं बना सकती तो उससे क्या लाभ। महृदय, सच्चा, अनपढ़ मज़दूर उस पढ़े-लिखे से बेहतर है जो निर्दयी और चरित्रहीन है। संसार के सभी वैभव और सुख-साधन तब तक सुखी नहीं बनाते जब तक मनुष्य को आत्मिक ज्ञान न हो। साक्षरता का देश की उन्नति से सीध संबंध है। निरक्षरता व अज्ञान अनेक दुखों का मूल कारण है। question number 1 = मनुष्य के लिए शिक्षा प्राप्त करना क्यों ज़रूरी है?
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मानव-जीवन में स्वास्थ्य का स्थान है। विस्तृत जानकारी परमेश्वर प्रयाज में बना हुआ है। दिमागी दिमाग और शिक्षा का उपयुक्तता ! वह
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