मानव के लाड़-प्यार से भी पिंजरे की चिड़िया खुश क्यों नहीं हो पाती?
Answers
Explanation:
किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि वह सुखी नहीं था?
उत्तर
माधवदास की बड़ी संगमरमर की कोठी, सुंदर बगीचा, रहने के ठाठ-बाट, चिड़िया को कहना कि तेरा सोने का पिंजरा बनवा दूंगा, मेरे पास ढेर सोना, कई कोठियाँ, बगीचे व दास-दासियाँ हैं-दर्शाता है कि उसका जीवन संपन्नता से परिपूर्ण था।
उसका अपने आप में यह सोचना कि सब कुछ प्राप्त करके भी जीवन में खालीपन है। पूरे घर में उसका. अकेले रहना, चिड़िया को अपने बगीचे में रहने के लिए मजबूर करना ताकि सुंदर चिड़िया को बार-बार देख सके व उसका चहचहाना सुन सके-दर्शाता है कि इतनी सुख-सुविधाएँ होने पर भी वह सुखी नहीं था।
प्रश्न 2.
माधवदास क्यों बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है? क्या माधवदास निःस्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
माधवदास चाहता है कि वह सुंदर चिड़िया उसके बगीचे में ही रह जाए इसलिए उसे बार-बार कहता है कि बगीचा तुम्हारा ही है।
माधवदास यह बात नि:स्वार्थ भावना से नहीं कहता, वास्तव में वह उसे बातों में फँसाकर अपने नौकर द्वारा पिंजरे में कैद करवाना चाहता था। वह चाहता था कि चिड़िया सदा के लिए उसके पास ही रह जाए।
प्रश्न 3.
माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ़ माधवदास की नज़र में चिड़िया की ज़िद का कोई तुक न था। माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंतर क्या-क्या थे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
माधवदास बार-बार चिड़िया को सोने के पिंजरे व सुख-सुविधाओं को प्रलोभन दे रहे थे लेकिन इसके विपरीत चिड़िया की सुख-सुविधाएँ प्रकृति में निहित थी। हवा, धूप और फूल ही उसकी धन संपत्ति थी। माँ परिवार और घर उसके लिए सबसे अधिक सुखदायी थे। उसे तो स्वच्छंदता ही पसंद है। उसे माधवदास के सुंदर बगीचे में रहना भी पसंद नहीं है। उसे सोना-चाँदी से कुछ लेना-देना नहीं था। वह अपने परिवार से अलग नहीं होना चाहती। शाम होते-होते माँ के पास जाने की जल्दी होती है। वह प्रकृति में स्वतंत्र होकर विचरण करना चाहती है। बंधन में रहना उसका स्वभाव नहीं। यही कारण था कि वह माधवदास की बातों को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी।
Answer: मानव चाहे,. कितना ही लाड़-प्यार क्यों न करे,. मेरे अंतरंग में अंकुरित. नहीं कर सकता, शांति! ... उसके अनुसार पिंजरे की सलाखें उन्हें देख हँसती हैं, मानो .......
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