मानव किसी क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र को
किस प्रकार प्रभावित करता
करता
Answers
मनुष्य की लालसा और उसकी जरूरतों ने प्राकृतिक पारितंत्रों को बहुत अधिक प्रभावित किया है। मनुष्य ने इन्हें अपनी आवश्यकताओं के अनुसार रूपांतरित करने का प्रयास किया है। प्राकृतिक पारितंत्रों में रूपांतरण के मुख्य कारण इस प्रकार हैं: (1) बढ़ती हुई जनसंख्या
(2) बढ़ती हुई मानवीय आवश्यकताएँ तथा
(3) जीवन शैली में परिवर्तन। इस पाठ में आप विभिन्न प्रकार के मानव रूपांतरित पारितंत्रों और अपने अधिकतम उपयोगों के लिये किए गए बदलावों का भी अध्ययन करेंगे।
Explanation:
उद्देश्य
इस पाठ के अध्ययन के समापन के पश्चात आपः
- विभिन्न मानव रूपांतरित पारितंत्रों की सूची बना सकेंगे;
- जनसंख्या में होने वाली तीव्र वृद्धि और भारत में औद्योगिकीकरण के कारण प्राकृतिक पर्यावरण में होने वाले समग्र परिवर्तनों का वर्णन कर सकेंगे;
- कृषि पारितंत्र के निर्माण की व्याख्या और प्राकृतिक पर्यावरण पर कृषि पद्धतियों के प्रभावों और कृषिक-पारितंत्रों के निर्माण की व्याख्या कर पायेंगे;
- वनारोपण जैसे मानवीय क्रियाकलापों के प्रभावों का वर्णन कर सकेंगे;
- बांधों के निर्माण तथा नदियों के प्रवाहमार्ग में परिवर्तन का पारिस्थितिक संतुलन पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण कर सकेंगे;
- मानव रूपांतरित पारितंत्रों के रूप में नगरीय क्षेत्रों का वर्णन कर सकेंगे तथा पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों की व्याख्या कर सकेंगे;
- औद्योगीकरण और पर्यावरण अपक्रमण में संबंध स्थापित कर सकेंगे;
- पारितंत्रों पर पड़ने वाले मानवीय प्रभावों को कम करने की विधियाँ सुझा सकेंगे।
Extra information ⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️मानव रूपांतरित पारितंत्र
मानव रूपांतरित पारितंत्रमानव रूपांतरित पारितंत्र सौर ऊर्जा पर निर्भर नहीं होते हैं। उदाहरण के लिये उद्योगों में ऊर्जा को जीवाश्म ईंधन या बिजली या दोनों रूपों में उपलब्ध कराया जाता है।
मानव रूपांतरित पारितंत्रमानव रूपांतरित पारितंत्र सौर ऊर्जा पर निर्भर नहीं होते हैं। उदाहरण के लिये उद्योगों में ऊर्जा को जीवाश्म ईंधन या बिजली या दोनों रूपों में उपलब्ध कराया जाता है।मानव रूपांतरित पारितंत्रों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
मानव रूपांतरित पारितंत्रमानव रूपांतरित पारितंत्र सौर ऊर्जा पर निर्भर नहीं होते हैं। उदाहरण के लिये उद्योगों में ऊर्जा को जीवाश्म ईंधन या बिजली या दोनों रूपों में उपलब्ध कराया जाता है।मानव रूपांतरित पारितंत्रों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:(1) कृषिक पारितंत्र (Agro ecosystem)
(2) वृक्षारोपण (Plantation forest)
(3) नगरीय पारितंत्र (Urban Ecosystem)
(4) ग्रामीण पारितंत्र (Rural Ecosystem)
(5) एक्वाकल्चर (Aquaculture )
(6) औद्योगिक क्षेत्र (Industrial Areas)
(7) प्रयोगशाला संवर्धन (Laboratory Cultures)
मानव रूपांतरित पारितंत्रों की विशेषताएँ
(1) अत्यधिक सरल।
(2) प्रजातीय विविधता बहुत कम।
(3) खाद्य श्रृंखलाएँ सरल और लघु होती हैं।
(4) उत्तरजीविता के लिये मानवीय (मानव जनित) सहायता पर निर्भर, जीवाश्म ईंधन ऊर्जा, उर्वरक, सिंचाई इत्यादि की आवश्यकता।
(5) अधिक संख्या में खरपतवार को न्यौता देते हैं।
(6) रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील।
(7) मृदा अपरदन से प्रभावित।
(8) अत्यधिक अस्थायी।