Hindi, asked by khajavali75, 1 month ago

मानव की सही पहचान बुद्धि और तर्क नहीं परंतु मानवीयता है इस पर निबंध लिखो plz help me ​

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Answered by aryavaibhavbharadwaj
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Answer:

मानव जीवन में अपेक्षाओं की कोई सीमा नहीं दिखाई देती। आवश्यकताओं के निमित्त अपेक्षाएं इतनी तीव्र होती हैं कि मनुष्य इनकी पूर्ति में संलिप्त रहता है। जब इनका परिणाम आवश्यकताओं के अनुरूप होता है, तब वह सुख भोगता है, क्योंकि उसकी आवश्यकता के अनुरूप कार्य सिद्ध हो रहे होते हैं। ¨कतु जब यही अपेक्षाएं उसकी आवश्यकताओं के विपरीत फल देती हैं, तब वह तमाम रूपों में दु:खों को भोगता है। जीवन में ऐसी विषम परिस्थितियां भी बनती रहती हैं जहां अपेक्षाएं व्यक्ति को तर्क-बुद्धि से परे कर देती हैं। जहां विवेक उसका साथ छोड़ देता है। pls mark me Brainliest

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