Hindi, asked by buddhashilapawarbudd, 5 hours ago

मानव का शत्रु - अहंकार हिंदी निबंध pls send this essay in hindi​

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Answered by Anonymous
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आज के समय में व्यक्ति का सबसे विनाशकारी तथा सबसे बड़ा शत्रु अहंकार होता है अहंकार को हम घमंड भी कहते हैं.बिना वजह खुद पर गर्व होने को हम घमंड या अहंकार कहते है. जिस प्रकार कपड़े को कीड़े क्षीण कर लेते हैं उसी प्रकार मनुष्य को उसका घमंड और अहंकार क्षीण कर देता है। अहंकार व्यक्ति को अच्छाई बुराई की ओर ले जाता है. व्यक्ति किसी की नहीं सुनता वह हमेशा खुद की बात रखता है जो खुद को अच्छा लगता है वही करता है दूसरों को महत्व नहीं देता व्हाट्सएप नहीं घमंड में डूबा रहता है। जो व्यक्ति अहंकार से मुक्त होता है कुछ नया सीखने का प्रयास करता है पर जो अहंकार मान होता है वह अपने ज्ञान को ही बढ़ा चढ़ा कर मानता है और सबसे ज्ञानी मानता है। पर किसी की सलाह की जरूरत नहीं रखता है और ना ही दूसरों की सलाह को सुनता है।

अहंकार से बुद्धि का नाश होता है अहंकार एक लत है और यह लत जिसको लगती है उसका जीवन बर्बादी की ओर अग्रसर होता है अपने जीवन में गुणों को प्रवेश नहीं देता है और खुद को बड़ा समझ कर दूसरों को नीचा समझता है इसी बीच वह अपने ज्ञान मे बढ़ोतरी नहीं कर पाता है।

अहंकार का धीरे-धीरे व्यक्ति के मानसिक स्थिति पर भी असर पड़ता है जब व्यक्ति मैं घमंड आ जाता है उस व्यक्ति का साथ हर कोई छोड़ देता है अहंकार से जीवन में बड़ी बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता जीवन में कष्टों को सहना पड़ता है पर ऐसे समय अहंकारी का कोई साथ नहीं देता है।

इस संसार की मानव जाति सबसे घटिया व्यक्ति अहंकारी को माना जाता है अहंकारी हमेशा खुद की प्रशंसा करता रहता है तथा खुद को सर्वोच्च बताने का प्रयास करता है इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार होता है वहां अन्य किसी के बारे में नहीं सोचता है।

अहंकार एक ऐसा रोग है जो कभी शांत नहीं होता है हमेशा बढ़ता रहता है और लोगों को कमजोर बनाने में लगा रहता है। अहंकार वान व्यक्ति अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करता है और अपनी कमजोरियों को नजरअंदाज कर देता है पर दूसरों की गलतियों और कमजोरियों को निकालने में माहिर होता है ऐसा करने पर अहंकारी को मजा आता है उसे बहुत अच्छा लगता है

जब वह किसी दूसरे की कमियां निकालता है। ऐसा करने पर प्रत्येक व्यक्ति को गुस्सा आना अवश्य पारिवारिक संबंध का खतरा रहता है अहंकारी व्यक्ति हर समय अपने अहंकार पर विचार करता रहता है वह अपनी कार से बाहर ही नहीं जा पाता इसी कारण वह अपने जीवन में उन्नति नहीं कर पाता है। ओंकार व्यक्ति की क्षमताओं दया तेरे नम्रता जैसे गुणों को बर्बाद कर देता है।

अहंकार को जितना पाला जाता है उतना ही वह तेजी से बढ़ता है और व्यक्ति की बर्बादी करता है। पर शुरुआती दिनों में अहंकार पर काबू पाया जा सकता है और अपने जीवन को बचाया जा सकता है पर जब अहंकार बढ़ जाता है उस समय नियंत्रण पाना आसान नहीं होता है। अपनी गलतियों को स्वीकार करें तथा दूसरों की राय लें सभी मानव जाति को अपने तुल्य माने सभी को खुद से बेहतर मानकर हम अपने अहंकार को भगा सकते है।

अहंकार राजा को रंक बना देता है इसकी कहानी आपने राजा रावण और भगवान राम की कहानी सुनी होगी जिसमें रावण खुद को अहंकारी मानता है घमंडी मानता है तथा खुद को अमर मानता है और अपने इस घमंड में आकर भगवान विष्णु तक से युद्ध करने को तैयार हो जाता है पर रावण की समस्त शक्तियों का अहंकार ही करता है और रावण पर भगवान राम विजय पा लेते हैं। इसीलिए कहते हैं कि अहंकार राजा रावण का भी नहीं चलता है।

हमें अपने जीवन को सफल बनाने के लिए तथा अपने भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए अहंकार कि इस बीमारी को दूर भगाना होगा। अपने जीवन में नम्रता को स्थान देना चाहिए किसी व्यक्ति को नीचा नहीं समझना चाहिए सभी के पास ज्ञान होता है.

अहंकार से व्यक्ति की आंतरिक शक्तियां छीन होती है। अहंकार से मुक्ति के लिए हमें किसी व्यक्ति से तुलना नहीं करनी चाहिए। किसी भी परिस्थिति में खुद को श्रेष्ठ ना समझें अहंकार व्यक्ति के चरित्र को क्षति पहुंचाता है

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