मानव कल्याण एवं मदद की भावना क्यों होनी चाहिए
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हर कार्य मानव कल्याण की भावना से निहित होना चाहिए। जिससे ईश्वर भी प्रसन्न होते हैं। प्रज्ञा पुराण कथा मानव सेवा के साथ ही धर्म से युक्त जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है। जिसे सुनना व पढ़ना हर मनुष्य के लिए अनुकूल है। इससे उनका जीवन सुधरता है। वे परेशानियों से बचे भी रहते हैं।
यह बात 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ एवं प्रज्ञा पुराण कथा में रविवार को देव संस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज हरिद्वार के डॉ. इंद्रेश पथिक ने कही। अखिल विश्व गायत्री परिवार की ओर से यह आयोजन किया जा रहा है। 23 जनवरी को इसका समापन होगा।
रविवार को सुबह देव आवाहन, मंगलाचरण के बाद यज्ञ शुरू हुआ। दोपहर को यज्ञ में आहुति देने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। डॉ. इंद्रेश पथिक व पूरन चंद्राकर ने यज्ञ कराया। जिसके बाद प्रज्ञा पुराण की कथा का पाठ किया गया। 23 जनवरी को सुबह यज्ञ की पूर्णाहुति दी जाएगी। जिसके बाद दोपहर 3 बजे से प्रज्ञा पुराण कथा होगी। शाम को होने वाले दीप महायज्ञ में सैकड़ों लोग शामिल होकर एक साथ दीप प्रज्ज्वलन करेंगे।
सेवा व कर्म से पाई जा सकती है सफलता
यज्ञ स्थल पर दोपहर से पावन प्रज्ञा पुराण कथा शुरू हुई। कथावाचक डॉ. पथिक ने कहा कि सेवा व कर्म से सफलता प्राप्त की जा सकती है। इसी को बताने के लिए अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा ने पावन प्रज्ञा पुराण कथा की रचना की। उन्होंने कई बातों को जीवन में सूत्र बना उतरने की बात कही। हर मनुष्य के लिए यह आवश्यक है। उन्होंने हर गांव में हो रहे यज्ञ व आयोजनों से लोगों मेंं धर्म के प्रति लगाव होने की बात कही। साथ ही बच्चों को गायत्री मंत्र का महत्व बताया।