मानव में श्वसन तंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
Answers
खाद्य पदार्थो के ऑक्सीकरण को ही स्वशन कहते हे l
- स्वशन एक जेव रासायनिक प्रक्रिया हे जिसके फलस्वरूप उर्जा एवं कार्बन डाय ओक्साइड का निर्माण होता हे l
- उर्जा को रासायनिक उर्जा ATP के रूप में संग्रहित कर लिया जाता हे जबकि कार्बन डाय ओक्साइड को वातावरण में मुक्त कर दिया जाता हे
स्वशन के तीन मुख्य भाग हे
उपरी स्वशन = नाक, मुख, ग्रसनी व कंठ
निचला स्वशन = श्वासनली, स्वशनी व फेफड़े
मांस पेशिया
Answer:
प्रत्येक प्राणी साँस लेता है। सांस लेना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें प्राणी खाद्य अणुओं को ऑक्सीकृत करके कोशिकाओं के लिए ऊर्जा पैदा करता है। सांस क्रिया के फलस्वरूप पानी और कार्बन डाईऑक्साइड बनते हैं। ये दोनों ही अपशिष्ट पदार्थ हैं, जिन्हें शरीर से बाहर निकालना जरूरी है। शरीर में हवा के अंदर जाने व बाहर निकलने की क्रिया निरंतर होती रहती है। सांस द्वारा हवा को अंदर लेने और बाहर निकालने की क्रियाओं में एक संबंध होता है। श्वास लेने वाली क्रिया को उच्छ्वास (Inspiration) और निकालने की क्रिया को निश्वसन (E×piration) कहते हैं। मनुष्य एक मिनट में 15 से 17 बार सांस लेता है। सांस की क्रिया तीन पदों में पूरी होती है–उच्छ्वास, निश्वसन तथा विश्राम।
मनुष्य नाक या मुंह से हवा को शरीर के अंदर ले जाता है। हवा जब नाक से अंदर प्रवेश करती है तो यह हल्की-सी नम और गर्म हो जाती है। नाक धूल-कणों को भी हवा से दूर कर देती है। यह हवा श्वास नलिका (Windpipe) से होती हुई फेफड़ों में जाती है। श्वसन क्रिया के अंतर्गत उच्छ्वास में सीने का फूलना पेशियों की क्रिया है। यह क्रिया ऐच्छिक (Voluntary) और अनैच्छिक (Involuntrary) दोनों ही पेशियों द्वारा होती है। श्वसन की सामान्य क्रिया में केवल अंतरापर्शुका पेशियां (Intercostal Muscles) और डायफ्रॉम ही भाग लेते हैं। गहरी सांस लेते समय कधे, गर्दन और उदर की पेशियां भी सहायता करती हैं।
फेफड़े श्वसन तंत्र के अत्यंत महत्त्वपूर्ण अंग है। ये वक्ष-गुहा की मध्य रेखा (Middle Line of Thoracic Cavity) के दोनों ओर स्थित होते हैं। दायां फेफड़ा बाएं फेफड़े से कुछ बड़ा होता है। ये स्पंजी होते हैं और प्रत्येक फेफड़ा एक दोहरी झिल्ली के बने थैले में सुरक्षित रहता है, जिसे फुफ्फुसावरण (Pleura) कहते हैं। फेफड़ों में लाखों कोशिकाएं होती हैं। ये हृदय से आए हुए अशुद्ध रक्त को श्वसन क्रिया में आई हुई ऑक्सीजन से शुद्ध करते हैं तथा रक्त में घुली हुई कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालते हैं। रक्त की शुद्धि के बाद उसे पुनः हृदय को वापस भेज देते हैं।श्वसन क्रिया का नियंत्रण मस्तिष्क के शवसन केंद्र द्वारा स्वाभाविक रूप से होता रहता है। यह केंद्र रक्त में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड के प्रति संवेदनशील होता है। जैसे ही रक्त में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है, यह केंद्र अधिक बार सांस लेने के लिए संदेश भेजने लगता है और हमारी सांस दर बढ़ जाती है।
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