म 'नवीन
सिंह
शर्मा
रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखकर शीर्षक एवं बोध लिखिए :
54. एक विद्यार्थी - परीक्षा में असफल - आत्महत्या करने जंगल में जाना - पेड़ पर मकड़ी को बार-बार चढ़ने का प्रयत्न करते
देखना - सफलता का मार्ग मिलना- ध्यान से पटना - सफल होना - बोध - शीर्षक।
7
का अर्थ बत
षधनुष्य
गों में निबंध लिखिए:
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Answer:
: अध्ययन -कक्ष –लघुकथा
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हिन्दी-लघुकथाओं में स्त्री की स्थिति
February 28, 2017, 10:51 am
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Next स्मृति शेष मिथिलेशकुमारी मिश्र –
सृष्टि में स्त्री-पुरुष दोनों का अपना-अपना महत्त्व है । यानी दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। इन्हें हम बराबर भी नहीं कह सकते, किन्तु यह सत्य है कि दोनों मिलकर ही पूर्ण होते हैं। दोनों का अपना-अपना महत्त्व है। किन्तु समय एवं समाज की बदलती हुई स्थिति में दोनों की भूमिकाओं एवं महत्त्व में प्रायः उतार-चढ़ाव आता रहा है।
यदि हम अतीत के झरोखे में झाँकें जब समाज ने अपना स्वरूप ग्रहण नहीं किया था तब मनुष्य भी जानवरों की तरह ही रहता था । स्त्री-पुरुष दोनों अपने-अपने स्तर पर प्रत्येक दृष्टिकोण से स्वतंत्र थे। इसका दुष्प्रभाव यह हुआ कि नवजात शिशुओं की स्थिति खराब होने लगी और इनके विकास का स्वरूप भी काफी सीमा तक अनिश्चित-सा हो गया था ।
सृष्टि ने विकास के साथ-साथ मनुष्य में भी क्रमशः स्वाभाविक विकास होने लगा। मनुष्य ने अपने कष्टों एवं विकास में हो रहे अवरोधाों को ध्यान में रखकर अपने विकास हेतु सोचना एवं उसे कार्यरूप देना शुरू किया, इसी प्रक्रिया में क्रमशः समाज ने अपना रूप ग्रहण करना आरंभ किया ।
प्रारंभ में दोनों यानी स्त्री-पुरुष स्वतंत्र थे, बाद में विवाह प(ति में इस स्वतंत्रता को एक अनुशासन का रूप प्रदान किया, जिसमें पुरुष का कार्य मुख्यतः दिन भर श्रम करके अर्जन करना था तथा स्त्री का काम घर-परिवार के कामकाज को संभालना था । किन्तु आवश्कतानुसार स्त्री अपने घर-परिवार के कामकाज से