मानव और पशु-पक्षी तथा अन्य जीवों के बीच एक सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने में आपका क्या कर्तव्य
है?
'गिल्लू' पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
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पशु -पक्षियों के बिना मानव जीवन की कल्पना करना उस जंगल की भांतिें होगा जिसमें पेड़ पौधे तो बहुत हो किंतु जीवन का सौंदर्य संगीत बिल्कुल न हो । हमारी भोर का प्रारंभ पक्षियों के कलरव द्वारा तथा दोपहर के एकाकीपन को दूर करता चौपायों का निनाद व शाम के समय अपने -अपने घरों को लौटता इन पशु पक्षियों का लघु- विशाल समूह हमारे जीवन में नीरसता को दूर करता हैै ।
यदि कभी कोई घायल या पीड़ित पशु - पक्षी हमें मिल जाएं तो हमारा यह कर्तव्य है कि हम हमारी संवेदना उसके साथ व्यक्त करते हुए उसके लिए यथायोग्य आश्रय, उपचार एवम् भरण- पोषण की व्यवस्था करें । इन मूक जीवों में प्रेम तथा भावनाओं को समझने की अद्भुत शक्ति होती है जिसके द्वारा ये समझ भी लेते हैं और व्यक्त भी करते हैं ।
जिस प्रकार "गिल्लू"पाठ में महादेवीजी की गिलहरी उर्फ गिल्लू उनके प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करती है । इस हेतु गिल्लू सतत समग्र प्रयासरत भी रहती थी । पर्यावरण के संतुलन और स्वच्छता में भी इन जीवों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है | अतएव इनसे सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने हेतु हमें निरंतर प्रयत्नशील रहना चाहिए | इनकी उपस्थिति केवल प्राकृतिक सौंदर्य को ही नहीं बढ़ाती अपितु इन मूक प्राणियों से हमारा एक रिश्ता कायम कर सकती है जो परस्पर प्रेम की भाषा के द्वारा संचालित होता है ।
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चाहे यह सामाजिक, व्यवसाय या व्यक्तिगत कुछ भी हो जानवर मनुष्यों के जीवन में एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मनुष्य 100 ईसा पूर्व से पहले से जीवित रहने के लिए जानवरों का उपयोग कर रहा है। जानवर रक्षक, साथी, उपकारी, सहकर्मी और यहां तक कि सबसे अच्छे दोस्त भी साबित हुए हैं। मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए मनुष्य को अपने जीवन में जानवरों की आवश्यकता होती है।
मनुष्य के जीवन में जानवरों का बहुत अधिक महत्व है इस तथ्य को कदापि नहीं नकारा जा सकता है। मनुष्य प्राचीन काल से ही जानवरों के साथ जुड़े हुए हैं और आधुनिक काल में भी यह मनुष्य जानवरों के साथ अपने संबंध बनाए रखने में कामयाब है। बेशक मनुष्य ने जानवरों को बंदी बना रखा हो लेकिन फिर भी बंदी जानवर मनुष्य के खिलाफ कभी शिकायत नहीं करते हैं। पशु भी मनुष्य को उतना ही चाहते हैं जितना मनुष्य अपने पशुओं को यह एक आपसी मेलजोल है जिसे मनुष्य और पशुओं से परस्पर स्थापित किया और बनाए हुए रखा है।
जब कभी भी पशुओं के मालिकों पर कोई भी संकट आता है तो वह अपनी जान की चिंता परवाह किए बगैर ही दुश्मनों पर हमला बोल देता है और अपने मालिक को बचाने का हर संभव प्रयास करता है। मनुष्य अपने पशु को खुश रखने के लिए उसके साथ एक बच्चे जैसा व्यवहार करता है और सदैव कोशिश करता है कि उनके रिश्ते को कभी किसी की नजर ना लगे और वह कभी एक दूसरे से जुदा ना हो पाए।